ग़ज़ल : किसी को वार ने लूटा किसी को हार लूटा
बहर- 1222 1222 1222 1222 किसी को वार ने लूटा किसी को हार ने लूटा मगर हमको मुहब्बत के दिले
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Read Moreसच्चाई को ख़ार मिल रहे, झूठ के दामन फूल, ज़माना बदल गया। झूठ हो रहा महिमा मंडित सत्य फांकता धूल,
Read Moreभारत माँ के लाल वतन पर हस कर जान लुटाते हैं। धरा धाम का कर्ज चुका कर ओढ तिरंगा आते
Read Moreचाय के इस लेन-देन में कुछ इधर आई, कुछ उधर गई कुछ होंठों से लगी, कुछ बासी भई पर हड़बड़ी
Read Moreव्रन्दावन में देखो कान्हा राधा तुमको ढूंढ रही क्रष्ण नाम की माला जपते गलियां गलियां घूम रही । तुमसे करती
Read Moreजब निगाहो का वार होता है जिस्म अक्सर शिकार होता है चैन आता नहीं कहीं पर भी तीर जब दिल
Read Moreहार किसकी हुई जीत किसकी हुई । जाना कोई नहीं प्रीत किसकी हुई । कोइ राधा बनी कोई मीरा हुई
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