बुलन्द अशआर
ज़िंदगी से मौत बोली, ख़ाक हस्ती एक दिन जिस्म को रह जायँगी, रूहें तरसती एक दिन मौत ही इक चीज़
Read Moreज़िंदगी से मौत बोली, ख़ाक हस्ती एक दिन जिस्म को रह जायँगी, रूहें तरसती एक दिन मौत ही इक चीज़
Read Moreअचानक एक मोड़ पर , अगर हम मिले तो , क्या मैं , तुमसे ; तुम्हारा हाल पूछ सकता हूँ
Read More(याकूब मेमन की फांसी पर ओवैसी और सलमान खान के बयानों पर आक्रोश जताती मेरी ताज़ा रचना) न्यायालय,जो लोकतंत्र की
Read Moreतोड़ के ये खामोशियाँ , कोई बात हो तो कैसा हो यूँ अज़नबी से अगर हमसफ़र हो जाएँ तो कैसा
Read More