कविता

एक बूँद चाय

चाय के इस लेन-देन में

कुछ इधर आई, कुछ उधर गई

कुछ होंठों से लगी, कुछ बासी भई

पर हड़बड़ी में अचानक

हाथ दिया टेबल पर पटक

तो लेते-देते चाय की एक प्याली

गरमागरम-इलायची वाली

झलक उठी गिरने को तत्पर

पर तुम पे गिरने न दी, न मुझ पर

बच गए हम दोनों हाय!

ज़मीन पर गिरी बस एक बूँद चाय।

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*नीतू सिंह

नाम नीतू सिंह ‘रेणुका’ जन्मतिथि 30 जून 1984 साहित्यिक उपलब्धि विश्व हिन्दी सचिवालय, मारिशस द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिन्दी कविता प्रतियोगिता 2011 में प्रथम पुरस्कार। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख, कहानी, कविता इत्यादि का प्रकाशन। प्रकाशित रचनाएं ‘मेरा गगन’ नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2013) ‘समुद्र की रेत’ नामक कहानी संग्रह(प्रकाशन वर्ष - 2016), 'मन का मनका फेर' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष -2017) तथा 'क्योंकि मैं औरत हूँ?' नामक काव्य संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) तथा 'सात दिन की माँ तथा अन्य कहानियाँ' नामक कहानी संग्रह (प्रकाशन वर्ष - 2018) प्रकाशित। रूचि लिखना और पढ़ना ई-मेल n30061984@gmail.com