बालोपयोगी लेख

सरस्वती ज्ञानमन्दिर पुवायां-शाहजहांपुर उ0प्र0 में 26 जनवरी 1996 का मेरा पहला भाषण

परम् आदरणीय अध्यक्ष नगर व्यापार मंडल पुवायां अध्यक्ष नगरपंचायत पुवायां नगर से उपस्थिति सम्भ्रान्त नागरिकों अभिभावक बन्धुओं विद्यालय के प्रधानाचार्य सहयोगी आचार्यों तथा समक्ष उपस्थिति नन्हें- मुन्हें बच्चों आज गणतंत्र दिवस के इस पावन अवसर पर विद्यालय के कार्यक्र्रम में आप सभी के सम्मिलित होने पर मुझे बड़ी प्रसन्नता का आभास हो रहा है।हम आज […]

अन्य बाल साहित्य बालोपयोगी लेख

सबका “पिता” एक है

प्रिय बच्चो, सदा खुश रहो, आज बाल दिवस यानी चाचा नेहरू जयंती भी है और गुरु पर्व यानी गुरु नानक जयंती भी. कल आपने स्कूल में धूमधाम से बाल दिवस के उपलक्ष में बाल मेला मनाया होगा. आज हम आपको गुरुनानक देव जी के बारे में बता रहे हैं. सिख धर्म के संस्थापक और पहले […]

अन्य बाल साहित्य बालोपयोगी लेख

इंटरनैशनल इंटरनेट डे

प्रिय बच्चो, सदा खुश रहो, आज इंटरनैशनल इंटरनेट डे (29 अक्टूबर) है. हमारी जिंदगी में इंटरनेट की अहमियत निर्विवाद है. इंटरनेट के कारण ही आज संपर्क में तेज़ी संभव हो पाई है. इंटरनेट ने हमें गूगल, याहू, जीपीआरएस, एटीएम जैसे शब्द दिए, जिन का हम अक्सर बोलचाल में इस्तेमाल करते हैं. क्या आपको इनका पूरा […]

बालोपयोगी लेख

शरारत करो, लेकिन संभलकर

प्रिय बच्चो, आयुष्मान, बुद्धिमान, सेवामान, अर्थात दीर्घायु बनो, बुद्धिवान बनो, सेवावान बनो. अरे भाई, आप जैसे प्यारे-प्यारे बच्चों को आशीर्वाद देने का यह हमारा तरीका है. हम जिसे पहली बार आशीर्वाद देते हैं, उसके हावभाव से यह जानना चाहते हैं, कि उसे आशीर्वाद का अर्थ समझ में आया या नहीं. बिना अर्थ समझे-समझाए आगे बढ़ने से […]

कहानी बालोपयोगी लेख बोधकथा सामाजिक

बुद्धिमान राजा

.एक राज्य के लोग एक वर्ष के उपरान्त अपना राजा बदल देते थे. राजा को हटाने के दिन जो भी व्यक्तिसबसे पहले शहर में आता था तो उसे ही नया राजा घोषित कर दिया जाता था..पहले वाले राजा को सैकड़ों मील में फैले जंगल के बीचोबीच छोड़ आते थे जहां खूंखार जानवर थे. बेचारा अगर […]

धर्म-संस्कृति-अध्यात्म बालोपयोगी लेख लेख सामाजिक

राखी त्यौहार और हम

राखी त्यौहार और हम राखी का त्यौहार आ ही गया ,इस त्यौहार को मनाने के लिए या कहिये की मुनाफा कमाने के लिए समाज के सभी बर्गों ने कमर कस ली है। हिन्दुस्थान में राखी की परम्परा काफी पुरानी है . बदले दौर में जब सभी मूल्यों का हास हो रहा हो तो भला राखी […]

बालोपयोगी लेख बोधकथा सामाजिक

पिता

गुस्से से मैं घर से चला आया, इतना गुस्सा था की गलती से पापा के जूते पहने गए। मैंआज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा। जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे,तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है। आज मैं उठा लाया था, पापा का पर्स भी,जिसे […]