लघुकथा

जियोतिशी जी की गणना

सोहन लाल और उस की पत्नी बेटी के रिश्ते के बारे में बहुत वर्षों से चिंतित चले आ रहे थे. बहुत लड़के देख चुके थे लेकिन कोई बात बन ही नहीं रही थी. जब हुआ तो अचानक ही हो गया. लड़का इंग्लैण्ड से अपने माता पिता के साथ इंडिया आया हुआ था. लड़के लड़की ने आपस में बातें कीं और एक दुसरे को पसंद कर लिया. रिश्ता तय हो गया, लेकिन लड़के वाले शादी जल्दी करने को जोर दे रहे थे क्योंकि वोह चार हफ्ते की छुट्टी पर आये हुए थे.

दूसरे दिन सोहन लाल और उस की पत्नी पंडित दीना नाथ ज्योतिषी जी के घर जा पुहंचे ताकि कोई अच्छा सा मुहूरत निकाला जा सके. पंडित जी ने दोनों को बेटी के रिश्ते की बधाई दी और बेटी की कुंडली देखने लगे. बहुत देर तक पंडित जी हिसाब किताब करते रहे. फिर जो वो बोले उसने दोनों पति पत्नी को दुविधा में डाल दिया. पंडित जी ने कहा- सोहन लाल जी, चार महीने से पहले कोई भी अच्छा महूरत नहीं है. अगर आप यह शादी इस से पहले करोगे तो बेटी के लिए दुखों का कारण होगी.

उदास हुए जब वोह घर पुहंचे तो पत्नी सोहन लाल को बोली, ‘जी ! पंडित जी से इस का उपाय भी पूछ लेते, शायद हमारा काम बन जाता.’ सोहन लाल बोला, ‘अरे ! यह तो मेरे दिमाग में आया ही नहीं’.

दूसरे ही दिन सोहन लाल पंडित दीना नाथ के घर की और चल पड़ा. जब वह घर के नज़दीक पुहंचा तो पंडित जी के घर से बहुत सी औरतों के रोने की आवाजें आ रही थीं. हैरान हो कर सोहन लाल ने एक शख्स से इस का कारण पूछा तो पता चला कि पंडित जी की बेटी जिस की शादी दस महीने पहले हुई थी, उस के पति की एक कार हादसे में मृत्यु हो गई थी.

सोहन लाल उसी वक्त वापिस आ गिया और कुछ दिनों बाद अपनी बेटी की शादी धूम धाम से कर दी .

One thought on “जियोतिशी जी की गणना

  • विजय कुमार सिंघल

    हा…हा…हा… बहुत अच्छी कहानी. जिन पोंगा पंडितों को अपना भविष्य और मुहूर्त मालूम नहीं है, वे दूसरों को मूर्ख बनाकर अपना धंधा चलाते हैं.

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