भाषा-साहित्य

जपानी काव्य विधायें

अनुभव की अभिव्यक्ति की अनेक विधायें हैं ….. हिन्दी की विधा है मुक्तक मुकरी छंद ….. तो जपानी विधा है हाइकु …..
हाइकु 3 पंक्तियों की कविता है ….. जिसमें

पहली पंक्ति में 5 अक्षर(वर्ण) होते है
दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर(वर्ण) होते है
तीसरी पंक्ति 5 अक्षर(वर्ण) होते है
आधे अक्षर की गिनती नहीं होती है ….

उदाहरण :

जग है प्यासा
सावन आ मिटाए
नीर पिपासा

हाइकु में ‘कहे’ से ‘अनकहा’ ज़्यादा होता है । जो नहीं कहा गया वो पाठक को खुद कहना होता है ।
हाइकु में छुपे रहस्य को समझने के लिए अपने-आप में डुबकी लगानी पड़ती है। यह आप की अपनी क्षमता पर निर्भर करता है कि आप क्या ढूंढ सकते हैं ।
अगर आप हाइकु को समझने की क्षमता रखते हैं तो यह तीन पंक्तियाँ आप को तीन-तीन पन्नों पर लिखी जाने वाली कविता से भी ज्यादा लुत्फ़ दे सकती हैं ।

हाइकु के दो भाग होते हैं –
हाइकु अनुभव और उस अनुभव की सहज भाषा में अभिव्यक्ति ।
लेखक को पाठक बन कर हाइकु पढ़ना चाहिए; क्योंकि पाठक के पास तो वही है; जो लिखा गया है ।

क्षण ( Moment) – हर हाइकु का आधार हाइकु क्षण है…
1. एक क्षण चुनें ।
2. क्षण को न लिखे/ बिम्बविधान द्वारा बताएँ ।

बिम्बविधान( Image) : हाइकु बिम्बविधान की बोली द्वारा बोलता है ……
1. ठोस प्रतिबिम्ब चुने।
2. प्रतिबिम्ब विचार या सुझाव न हो।
3.प्रतिबिम्ब विवेक – बुद्धि ( Senses)पर आधारित हो,अर्थात् दृश्य , श्रव्य(ध्वनि) ,घ्राण(गन्ध) ,स्वाद(रस) या स्पर्श हो।
4. प्रतिबिम्ब अनुभव बोध के क्रम ( order of perception) के अनुसार हो।
5. हाइकु को प्रभावशाली बनाने के लिए क्रम को मत उलझाओ ।
6. हाइकु लिखते समय मैं, मुझे या मेरा आदि जैसे सर्वनाम का कम से कम उपयोग करें।
7. हाइकु का मूल भाव ( punch line ) आखिरी पंक्ति में होना चाहिए।
8. हाइकु को ऊँचे स्वर में बोल कर पढ़ें और प्राकृतिक प्रवाह का ख्याल रखें।

कारक ( Cause ) और परिणाम ( Result)….
दोनों प्रतिबिम्ब संपूर्ण और स्वतन्त्र हों।

सुझाव की शक्ति….
1.हाइकु अपने आप में पूर्ण न हो।
2.हाइकु के विकास के लिए पाठकों के लिए भी कुछ छोड़ा हो।
3.हाइकु तराशे हीरे की तरह न चमके बल्कि तालाब में फेंके कंकड़ की तरह तरंगे पैदा करे।
अधूरे हाइकु ….
1.एक ही प्रतिबिम्ब को तीन पंक्तियों में तोड़ कर न लिखें।
2. हाइकु केवल टिप्पणी या शीर्षक न हो।
स्वयं फैसला….
1.बार-बार पढ़ें। क्या हाइकु आप को आन्दित करता है?
अगर नहीं, फिर से विचार करें।
2.हाइकु से दूर खड़े हो कर उस की त्रुटियाँ जाने।

— हरदीप संधु

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हाइकु की तरह ही जापानी विधायें हैं- तांका, सेदोका और चोका.

तांका में 5 पंक्तियाँ होती है

पहली पंक्ति में 5 अक्षर(वर्ण) होते है
दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर(वर्ण) होते है
तीसरी पंक्ति 5 अक्षर(वर्ण) होते है
चौथी पंक्ति में 7 अक्षर(वर्ण) होते है
पांचवीं पंक्ति में भी 7 अक्षर(वर्ण) होते है

उदाहरण :

देव का भेंट
प्रकृति करे प्यार
रवि रश्मियाँ
सर्व प्रथम आती
हिन्द धरा चूमती

सेदोका में 6 पंक्तियाँ होती हैं

पहली पंक्ति में 5 अक्षर(वर्ण) होते है
दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर(वर्ण) होते है
तीसरी पंक्ति 7 अक्षर(वर्ण) होते है
चौथी पंक्ति में 5 अक्षर(वर्ण) होते है
पांचवीं पंक्ति में 7 अक्षर(वर्ण) होते है
छठवीं पंक्ति में भी 7 अक्षर(वर्ण) होते है

उदाहरण :

तमिस्रा मिटा
प्रकाशमान होता
सच्चा दीपक वही
नव्य साहस
संचरण करता
विकल्प सूर्य वही

चोका में अनगिनत पंक्तियाँ होती हैं. 5 – 7 – 5 – 7 – 5 …………………………………… 7 – 7 से अंत होता है लेकिन अर्थहीन नहीं लगना चाहिए …..

उदाहरण :

बड़ी खुशियाँ
तलाशते रोते हैं
छोटी खुशियाँ
मुझे बस लौटा दो
भीनी खुशबू
मिट्टी चूल्हे दाल की
खो दी अस्तित्व
कहाँ खौलता
नदिया में दूध है
सोंधा महक
खो गया दही से है
मिट्टी का मोल
कौन तौल सका है
लू का मौसम
घड़े का ठंढा पानी
कुल्हड़ ढोता
पात में भोजन हो
मिट्टी खिलौने
जांता चूल्हा चुकिया
भरती खील
सजाती थी घरौंदा
छोटी खुशियाँ
सखियाँ सहेलियाँ
छूटे गांव में
बचपन छुटा है
यादें रुलाती
कुम्हार वजूद है
चाक जिन्दा है
शहर में ढूंढता
निज अस्तित्व
मुखौटे पहने है
अपने यहाँ
फैशन से बदले
रिश्ते यहाँ रोते

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विभा रानी श्रीवास्तव

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

9 thoughts on “जपानी काव्य विधायें

  • Shoonya Akankshi

    वाह ! आपने अपने इस लेख के माध्यम से बहुत सारगर्भित जानकारी दी है । हाइकुकारों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए …..

    – शून्य आकांक्षी

  • विजय कुमार सिंघल

    विभा जी, आपने मेरी सबसे पहली टिप्पणी का उत्तर तो दिया ही नहीं. मैंने पूछा था कि ‘हाइकु पढ़ते समय पाठक को अनकहा खुद कहना पड़ता है’ इसका क्या तात्पर्य है?

  • सविता मिश्रा

    बहुत सुन्दर जानकारी दी

  • करुणावती साहित्य धारा

    बहुत अच्छी जानकारी ..आदरणीय धन्यवाद

  • अजीत पाठक

    लेख में अच्छी जानकारी दी गयी है, लेकिन ऐसी कविताओं में मजा क्या आता होगा? जिनमें गिन-गिनकर अक्षर रखे जाते हैं वे कवी कि प्रतिभा का कबाड़ा कर देती होंगी. जापानी भाषा में तो यह ठीक है, क्योंकि वहां एक अक्षर पूरे एक शब्द के बराबर होता है. पर हिंदी जैसी भाषा में ऐसा करना हस्यास्पद है. मैंने एक हाइकु लिखा है- क्या यह सही है?
    रामआसरे
    तुम वास्तव में हो
    राम आसरे

    • विजय कुमार सिंघल

      हा….हा…हा… बहुत खूब अजीत जी. यह हाइकु है कि नहीं इसका उत्तर विभा जी दे सकती हैं.

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      किसी भी हाइकु के तीसरी पंक्ति ज्यादा महत्वपूर्ण होती है …. एक राज खोलते हुए सा ….. आपके हाइकु की पहली और तीसरी दोनों पंक्ति तो एक है ….. अगर आप हाइकु को समझने की क्षमता रखते हैं तो यह तीन पंक्तियाँ आप को तीन-तीन पन्नों पर लिखी जाने वाली कविता से भी ज्यादा लुत्फ़ दे सकती हैं ….. गागर में सागर जैसा ….. सादर

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत बहुत धन्यवाद. आपने जापानी काव्य विधाओं की अच्छी जानकारी दी है. हालाँकि यह बात समझ में नहीं आई कि हाइकु पढ़ते समय ‘अनकहा’ पाठक को खुद कहना पड़ता है. इस बात को जरा उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिये.

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      उग हर्षाते
      मशरूम से स्वप्न
      ऋतु बरसे।
      ====
      पथ गुम है
      छिपे नक्षत्र बेड़ा
      मेघो के ओट।

      इस हाइकु से शायद मैं आपके सवाल का जबाब दे पाऊं ….. इस हाइकु को पढ़ने से क्या क्या दिमाग में आ सकता है …।

      कोई रास्ता है जो खो गया है

      नक्षत्र यानि दिन हो तो सूर्य और रात हो चाँद तारे छिप गए हैं

      क्यों कि काली घटा …. काले काले बादल अँधेरा किये हुए है ….
      सादर

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