कविता

लय

 

तुम्हारे ह्रदय
और मेरे ह्रदय
की धड़कनों की
एक सी हो जाए लय

मैं तुम में हो जाऊं
और तुम मुझमे
हो जाओ विलय

व्यतीत हो जाए कई जन्म ,कई युग
और निमिष सा ठहरा रह जाय
सदियों का समय

नर्म स्पर्शों की
मधुर अनुभूति के हरे पर्णों से
आच्छादित रहे
हमारा यह प्रणय

बिन बोले ही
आँखों से पढ़ ले
एक दूजे का मौन आग्रह

सदा आलोकित रहे स्निग्ध चांदनी
मन के स्वच्छ आकाश में
ऐसे चन्द्रमा का हो उदय

देह आभास तिरोहित हो जाए
शेष रहे ,बिना संशय
रूह से रूह का
प्रगाढ़ परिचय

शाश्वत रहे यह अनुराग
प्रेम के प्रति हो
हम दोनों में दृढ निश्चय
जैसे अडिग है हिमालय
चाहे आ जाए प्रलय

किशोर

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

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