कविता

आकाश

 

सीने में दर्द का अहसास होने लगा है
दिल को इश्क़ का आभास होने लगा है

तेरी प्रत्येक करवट मुझे तलाशने लगी है
अपने वज़ूद पर मुझे विश्वास होने लगा है

सूरज डूब गया चाँद निकल आया
इंतज़ार थक कर उदास होने लगा है

तेरी यादों की इक शमा मेरे भीतर जल उठी है
गम का अंधेरा छट गया प्रकाश होने लगा है

मेरी सोच मेरी कल्पना मेरे सपने साकार हो गये
तू इंद्रधनुष है मेरा मन आज आकाश होने लगा है

किशोर कुमार खोरेंद्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.