कविता

चार बाल कवितायेँ

1-उमड़-घुमड़ कर आते बादल

 

उमड़-घुमड़ कर आते बादल
मुझे बहुत भाते हैं बादल।
कभी बजाते ढोल मंजीरे
कभी चमक दिखलाते बादल।
खेतों को नहलाते  देते

जब पानी भर लाते बादल।
और कभी तो घुड़की देकर
सब पर रौब जमाते बादल।

 

2-तितली आई

पंख नचाती तितली आई
नन्हीं कलियाँ भी मुस्काई।
रंग बिरंगे इसके पंख
जैसे उडती तेज पंतग।

फूलों से है इसकी यारी
खुशबू इसको लगती प्यारी।
झूम-झूम लहराती जाए
फूलों का तन-मन सहलाए।

 

3-मेहनत के रंग

 

चींटी होती सबसे छोटी

खुद से बड़ा वज़न ये ढोती।

चुन-चुन चिड़िया तिनका लाती

और घोंसला बड़ा बनाती।

चूहा बिल जब कहीं बनाए

ढेरों मिट्टी खोदे जाए।

रस फूलों का लेकर आती

मधु मक्खियाँ, शहद बनातीं।

 

 

4-मेरा घर

 

आई जून की भरी दुपहरी

छाया देता भाये घर।

नीम -निबौंली से अक्सर ये

बने बिछौना मेरा घर।

चीं -चीं चिड़िया की बोली से

चहका रहता मेरा घर।

सभी यहाँ मिल करके रहते

खिल-खिल करता मेरा घर ।

 

— Dr.Bhawna kunwar

डॉ. भावना कुँअर

नाम : डॉ० भावना कुँअर निवास स्थान : ऑस्ट्रेलिया (सिडनी) शिक्षा : हिन्दी व संस्कृत में स्नातकोत्तर उपाधि, बी० एड०, पी-एच०डी० (हिन्दी) शोध-विषय : ' साठोत्तरी हिन्दी गज़लों में विद्रोह के स्वर व उसके विविध आयाम'। विशेष : टेक्सटाइल डिजाइनिंग, फैशन डिजाइनिंग एवं अन्य विषयों में डिप्लोमा। प्रकाशित पुस्तकें : तारों की चूनर ( हाइकु संग्रह) ,साठोत्तरी हिन्दी गज़ल में विद्रोह के स्वर, धूप के खरगोश( हाइकु संग्रह) संपादन : चन्दनमन(हाइकु-संग्रह), भाव कलश (ताँका संग्रह), गीत सरिता (बालगीतों का संग्रह- तीन भाग),यादो के पाखी (हाइकु संग्रह),अलसाई चाँदनी (सेदोका संग्रह),उजास साथ रखना (चोका-संग्रह) शैक्षिक प्रकाशन : अक्षर सरिता , शब्द सरिता ,स्वर सरिता (प्राथमिक कक्षाओं के लिए हिन्दी भाषा-शिक्षण की शृंखला), भाषा मंजूषा (पाठ्य पुस्तक में रचनाएँ सम्मिलित), (C C E) Complete Study Material ( M C Q) में कविताएँ संकलनों में प्रकाशन: कुछ ऐसा हो, सच बोलते शब्द (हाइकु-संग्रह) सम्मान : "हाइकु रत्न सम्मान" महेन्द्रू पटना (२०११) प्रकाशन : स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी, गीत, हाइकु, बालगीत, लेख, पुस्तक - समीक्षा, आदि का अनवरत प्रकाशन। अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अंतर्जाल अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय अंतर्जाल पत्र- पत्रिकाओं जैसे- अनुभूति,अभिव्यक्ति,साहित्य कुंज, लेखनी डॉट नेट ,कविताकोश, रचनाकार,हिन्दी नेस्ट,सृजन गाथा,स्वर्ग विभा, आखर कलश , कर्मभूमि, हिन्दी-पुष्प (साउथ एशिया टाइम्स)आदि। प्रकाशित पत्रिकाएँ जैसे- संकल्प, विज्ञापन की दुनिया, हिन्दी गौरव (सिडनी) , हिन्दी टाइम्स ( कनाडा) आरोह- अवरोह,अप्रतिम , लोक गंगा, उंदती, वस्त्र परिधान, अविराम, सरस्वती सुमन, हाइकु दर्पण, हाइकु लोक तारिका,पाठक मंच बुलेटिन,वीणा, हिन्दी चेतना , द सन्डे इन्डियन, गर्भनाल,सादर इण्डिया, दिल्ली इंटरनेशनल फिल्म फेस्टेवल, अभिनव इमरोज,विधान केसरी हरिगन्धा मासिक आदि में रचनाओं एवं लेखों का नियमित प्रकाशन । स्वनिर्मित जालघर (वेबसाइट) - http://dilkedarmiyan.blogspot.com/ पर अपनी नवीन-रचनाओं का नियमित प्रकाशन। अपने स्वनिर्मित जालघर (वेबसाइट) - http://drbhawna.blogspot.com/ पर कला का प्रकाशन सदस्य : संपादक समिति सिडनी से प्रकाशित "हिन्दी गौरव" मासिक पत्रिका अन्य योगदान : स्वनिर्मित जालघर : http://drkunwarbechain.blogspot.com/ http://leelavatibansal.blogspot.com/ संप्रति : सिडनी यूनिवर्सिटी में अध्यापन अभिरुचि : साहित्य लेखन, अध्ययन,चित्रकला एवं देश-विदेश की यात्रा करना। संपर्क bhawnak2002@yahoo.co.in / bhawnak2002@gmail.com

One thought on “चार बाल कवितायेँ

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी बाल कवितायेँ. इनको बच्चे अच्छी तरह समझ सकते हैं और याद भी कर सकते हैं.

Comments are closed.