कविता

बिना वज़ह भी

मै बहुत कर रहा हूँ कोशिश
ताकि तुम्हें कर लूँ
अपनी ओर आकर्षित
लेकिन मुझे मालूम नहीं
मुझे तुमसे यूँ मिलकर
क्या होगा हासिल
बिना वज़ह भी तो मै तुमसे
मिल सकता हूँ
यह सोचकर
मै अकेले में हो जाता हूँ रोमांचित

एक दो कविताएं ही सुना दूंगा
समुद्र की लहरों कों भी
दुःख होता हैं
यह बता दूंगा
तुम अगर
इज़ाज़त दोगी तो
तुम्हारे चेहरे कों जी भर
निहार लूंगा
प्यार या प्रेम के अलावा भी उपयुक्त कोई शब्द
क्या नहीं हैं…….?
जिसे मै तुम्हारे सामने कह पाऊँ
क्या हर संबंध कों नाम
देना जरुरी हैं…….
वही तो समझ नहीं पा रहा हूँ
की
तुम्हारा और मेरा रिश्ता हैं क्या आखिर

क्या तुम मुझे अच्छी लगती हो बस
तुमसे बाते किये बिना मै आगे लिख नहीं पाता
ह्रदय की यह सच्ची बात कर दूंगा
समक्ष घोषित
मै बहुत कर रहा हूँ कोशिश
ताकि तुम्हें कर लूँ अपनी ओर आकर्षित


किशोर कुमार खोरेन्द्र

किशोर कुमार खोरेंद्र

परिचय - किशोर कुमार खोरेन्द्र जन्म तारीख -०७-१०-१९५४ शिक्षा - बी ए व्यवसाय - भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवृत एक अधिकारी रूचि- भ्रमण करना ,दोस्त बनाना , काव्य लेखन उपलब्धियाँ - बालार्क नामक कविता संग्रह का सह संपादन और विभिन्न काव्य संकलन की पुस्तकों में कविताओं को शामिल किया गया है add - t-58 sect- 01 extn awanti vihar RAIPUR ,C.G.

2 thoughts on “बिना वज़ह भी

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    किया खूबसूरत कविता है.

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह बहुत सुंदर !

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