कविता

कहाँ तक आजाद है देश ?

जन -जन के मन में
आज भी एक ही ,
सवाल है
कहाँ तक आजाद है देश ?
नारी की लाज
पिछड़ा समाज
शिक्षा का स्तर
आज भी फटेहाल है
कहाँ तक आजाद है देश ?
भूख ,गरीबी
स्वास्थ्य ,सेवाएं
कागजी योजनायें
अफसर मालामाल है
कहाँ तक आजाज़ है देश ??
वोट के लिए बोटी
भूखे नंगो को रोटी
विकास की आस
झूठे बादो का जाल है।
कहा तक देश आजाद है ?
दंगे की आंच
आपदा संताप
मरते गरीब
नौकरशाह मालामाल है ।
कहाँ तक देश आज़ाद है ??

धर्मेन्द्र पाण्डेय

One thought on “कहाँ तक आजाद है देश ?

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

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