कविता

दोस्ती

बिना डोर ही बंध जाता है, वो बंधन है
पूजा की रोली है, माथे का चंदन है
भावों का अमृत है, जीवन परिभाषा है
हर पल साथ निभाने वाली, इक आशा है

प्रेम ,समर्पण की गाथा है, अहसासों का वंदन है
मूल्यों का आदर्श दोस्ती, रिश्तों का अभिनंदन है।
खुदगर्जी के दौर मे भी, पावनता की अनुभूति है
दोस्ती अब भी वही सुदामा, दोस्ती केशव नंदन है॥

दोस्ती दोस्त से वफा का वादा है
दोस्ती पावन है पवित्र है, मर्यादा है
दोस्ती भावना है, विश्वास है
दोस्ती खूबसूरत अहसास है
दोस्ती दुनियां का सम्पूर्ण बंधन है
दोस्ती आत्मिकता है, वंदन है,
सम्पूर्णता का अभिनंदन है….

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “दोस्ती

  • मंजू गुप्ता

    badhiyaa klmkar badhai

    • सतीश बंसल

      शुक्रिया मंजु जी
      हौसला अफजाई प्रेरित करती है…

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