गजल
मन के सूने कोने में इक याद अभी बाकी है ज़ख्म सारे भर गए पर दाग अभी बाकी हैं समेट
Read Moreज़िन्दगी सदा हसीन और सदा ग़मगीन नहीं होती ! नदी सदा के लिए समुन्द्र में लीन नहीं होती !!
Read Moreछटपटाती रहीं और सिमटती रहीं कोशिशें बाहुबल में सिसकती रहीं। जुल्म जिस पर हुआ,कठघरे में खड़ा। करने वाले की किस्मत
Read Moreगाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ मुखिया की दालान देखकर आया हूँ मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई सुखिया को
Read More25 अगस्त 2015 का दिन गुजरात की भावी राजनीति की जो दशा ओर दिशा तय करके बीता है वह बेहद
Read Moreहमने विगत तीन लेखों में महर्षि दयानन्द के सन् 1874 में लिखित आदिम सत्यार्थ प्रकाश से हमारे देश आर्यावर्त्त में
Read Moreकोई पूछे तो दिखा दू दिल चिर के चोट गहरे मिला है मुझे इश्क़ में वो तो किसी और के
Read Moreकोई शौक़ नहीं मुझको घुट-घुट कर जीने का है चोट लगी दिल में बस यही एक वजह है पीने का,
Read Moreनींद आँखों से चैन दिल से जब लुट जाएगा उस वक़्त मेरे अल्फाज़ो में बस दर्द नजर आएगा, दिल के
Read Moreजब से गयी है छोड़ के मुझको ज़िंदगी में ना बची अब जान है जाओ ये चाँद तुम पता लगाओ,
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