तो समझो हृदय की हार है
जब भवंरो की गुंजन में हो कलियों का गुणगान कोई। जब बसन्त ऋतु को समर्पित कर दे निज पहचान कोई।
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Read Moreओ३म् देश की परतन्त्रता में मूर्तिपूजा की भूमिका पर महर्षि दयानन्द का सन् 1874 में दिया एक हृदयग्राही ऐतिहासिक उपदेश
Read Moreभारतीय संस्कृति का अनुपम पर्व= रक्षाबन्धन रक्षाबन्धन भारतीय संस्कृति का प्रमुख पर्व है ,/यह पर्व भाईचारा , विश्वबंधुत्व का संदेश
Read Moreराखी त्यौहार और हम राखी का त्यौहार आ ही गया ,इस त्यौहार को मनाने के लिए या कहिये की मुनाफा
Read Moreवो बचपन की यादें, वही दुलार ले के आजा। इस राखी अपना अनमोल प्यार ले के आजा॥ रेशम की डोरी
Read Moreभारत को खोखला करता भ्रष्टाचार दीमक एक पेड़ को इतना खोखला नहीं करती, जितना की भ्रष्टाचार ने भारत को खोखला
Read Moreकहीं प्यार अपना भुला तो न देना निगाहों से अपने गिरा तो न देना || चिंता हमारी पर है मंजिल
Read Moreकौन से उज्जवल भविष्य की ख़ातिर हम पड़े हैं– महानगर के इस बदबूदार घुटनयुक्त वातावरण में। जहाँ साँस लेने पर
Read Moreकुल्लू-मनाली भ्रमण (जारी) फिर हम मणिकर्ण की ओर चले। यह पार्वती नदी के किनारे है। पार्वती नदी नीचे आकर व्यास
Read Moreबात उन दिनों की है जब मेरे पतिदेव का ट्रांसफर चंडीगढ हो गया था और मैं पहली बार घर से
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