कविता

“दोहा”

“दोहा”
नहि पराग कण पाखुडी, कलियन मह नहि वास
कब वसंत आयो गयो,***चित न चढें मधुमास ||१

सोन चिरैया उड़ चली, ****पिंजरा रखे सजाय
चुंगा दाना बिखर गया, अब कस निकसत हाय ||२

कई मंजिला घर मिला, ***मिली जगह भरपूर
भूल गये स धिरे धिरे , ***जीवन जग दस्तूर ||३

निर्धन मरा जुआरिया, *****धनी मरा संताप
मानवता पल में मरी,***मरि-मरि जिए अनाथ ||४

लोभी क्रोधी धूतरा, *****दिख सज्जन बड वेष
उतराए दिन रात है, ****कतहु न मिले निमेश ||५

महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

6 thoughts on ““दोहा”

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    बहुत सुंदर दोहे

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीया शशी शर्मा उर्फ़ ख़ुशी जी, सादर स्वागत है महोदया…..

  • वैभव दुबे "विशेष"

    उत्कृष्ट दोहे साहब

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद श्री वैभव दुबे जी, आभार सर

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर रचना

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीया विभारानी श्रीवास्तव जी

Comments are closed.