लघुकथा

लत

आज फिर पतिदेव से झगडा हुआ मिनी का ,वैसे यह कोई नयी बात नहीं थी पर आज मिनी बहुत डरी हुई थी ! अभी सवा महीने पहले ही छोटे भाई को केंसर होने की खबर ने रूह तक झकझोर डाली ! वो तो पान-सिगरेट या गुटका कुछ भी नहीं खाता,शुद्ध शाकाहारी है !

पतिदेव पहले से सिगरेट और पान मसाला लेते आ रहे थे ! बेटे के पास अमेरिका गयी तो ठान लिया था वहां आदत छुड़ा देगी ! पर साथ लायी सिगरेट जब ख़त्म हुई तो बेटे के दोस्त जो खुद सिगरेट पीता था उसे साथ लेकर बाज़ार से और ले आये !

हाँ पान मसाला क्यों की वहां मिलता नहीं था तो उसकी आदत छूट गयी थी ! मिनी ने सोचा चलो एक बुरी लत तो छूट गयी,पर आज फिर मुह में पान मसाले की खुशबु ने उसका पारा सातवें आसमान पर पहुंचा दिया !

” भाई की हालत देख कर भी आपको होश नहीं आ रहा कितना ज़हर रोजाना लेते हैं ? चाहते क्या हैं आप ? चलिए अब पाउच नहीं पूरा डिब्बा लेकर आइये दोनों मिलकर खाया करेंगे….” और भी ना जाने क्या-क्या बोलती गयी !

गुस्सा तो दिखावे का था पर अंतर्मन में डर केंसर का था हालांकि वो जानती थी की लत है, दो दिन को बाज आयेंगे उसके बाद फिर से…


poornima

पूर्णिमा शर्मा

नाम--पूर्णिमा शर्मा पिता का नाम--श्री राजीव लोचन शर्मा माता का नाम-- श्रीमती राजकुमारी शर्मा शिक्षा--एम ए (हिंदी ),एम एड जन्म--3 अक्टूबर 1952 पता- बी-150,जिगर कॉलोनी,मुरादाबाद (यू पी ) मेल आई डी-- Jun 12 कविता और कहानी लिखने का शौक बचपन से रहा ! कोलेज मैगजीन में प्रकाशित होने के अलावा एक साझा लघुकथा संग्रह अभी इसी वर्ष प्रकाशित हुआ है ,"मुट्ठी भर अक्षर " नाम से !

One thought on “लत

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    पंजाबी में वारस शाह ने लिखा है ” वारस शाह ना आदतां जान्दिआन ने चाहे काटिए पोरिआं पोरिआं नी”

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