कविता

यादें

 गुजर गए अपनों की
स्मृतियों को याद करके
सोचता हूँ ,कितना सूनापन है
उनके बिना

घर की उनकी संजोई
हर चीज को जब छूता हूँ
तब उनके जिवंतता का
अहसास होने लगता
डबडबाई आँखों/भरे मन से
एलबम के पन्ने उलटता
तब जीवन में उनके
संग होने का आभास होता है

उनकी बात निकलने पर
अच्छाई याँ मानस पटल पर
स्मृतियों में उर्जा भरने लगती है

कहते है स्मृतियाँ अमर है
लेकिन यादों की ऊर्जा पर
इसलिए कहा गया है कि
करोगे याद तो हर बात याद आएगी ।

संजय वर्मा “दृष्टि “

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच

One thought on “यादें

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर सच्ची रचना

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