राजनीति

कोई भी जीते, बिहार हारेगा

बिहार चुनाव का केवल आखिरी पढाव बाकी रह गया है… और 8 तारीख को नतीजे आने है. मोदी, नीतिश की धडाधड रैलियां और लालू के आपत्तीजनक ब्यानो ने एक बात तो साबित कर दी है कि पार्टी चाहे कोई भी जीते लेकिन इन चुनावो में बिहार की हार निशचित है। भारत में रहकर मोदी को बहारी बोलना, जातीगत विचारधारा पर चलना, चारा घोटाले के आरोपी लालू प्रसाद यादव का दामन थामना और हारी एवं थकी हुई काग्रेस का हाथ पकडना, नीतिश कुमार को कमजोर बनाता है। मोदी ने कहा है कि जब चुनाव से पहले महागठबंधन कभी एक मंच पर नहीं है तो चुनाव के बाद क्या एक साथ आएगा। मुख्यमंत्री होते हुए तांतरिक के पास, जाना यह सोच बिहार को निचले स्तर पर तो ले आएगी ही।

इन सब के बावजूद अगर मोदी से कोई उनकी सरकार का हिसाब मांग ले तो उनका कहना है कि जिन्होने 25 साल का हिसाब नहीं दिया वो हिसाब मांग रहे है। उनकी हिसाब ना देना गलत है और अगर आप भी हिसाब नहीं देते तो आप भी गलत है। हिसाब चाहे 25 महिनो का हो या 25 साल का देना तो पडेगा। और जब आप 25 महिनो का हिसाब देने में कतरा रहे है तो 25 साल बाद क्या देंगे। खैर आप पहले वहां पहुचे। विकास को मुद्दे से शुरू हुई आपकी रैली तो गौ और आरक्षण पर पहुच गई। आपकी रैली में विकास से ज्यादा तो नीतिश और लालू का नाम सुनाई देता है और लालू और नीतिश भी आपसे अलग नहीं हैं। उनकी रैली में भी आधे से ज्यादा वक्त तो आपके (मोदी) नाम से निकल जाता है। मेरे यह सही नहीं बैठता की आप अपना मुद्दा लेकर जनता के पास जाते है या एक दूसरे का प्रमोशन करने। आपमें से किसी के पास मुद्दे नहीं है। विजन नहीं है। सोच नहीं है। विकास के रास्ते नहीं है। यही वजह है कि आप लड़ रहे हो। जिससे आपमें से कोई जीत तो जाएगा लेकिन बिहार हार जाएगा।।।।

— मनोज सिंह