कविता

काश तुम्हारे जैसे हम भी बन पाते भोले नादान..

तुम अच्छे हो, तुम सच्चे हो
तुम धरती पर हो भगवान
काश तुम्हारे जैसे हम भी
बन पाते भोले नादान।

हंसी हंसी मे रूठ भी जाते
फिर यारों को खुद ही मनाते
जो भी है, मिल बांट के खाते
सबको देते दिल से मान…
काश तुम्हारे जैसे हम भी
बन पाते भोले नादान…

खेलते, खाते और मुस्काते
पल में रोते पल में गाते
एक दूजे को गले लगाते
होते एक दूजे की जान…….
काश तुम्हारे जैसे हम भी
बन पाते भोले नादान……

काश! बचा कर रख पाते
बचपन के भगवान को हम
हो जाते दुख सारे कम
हंसता मुस्काता ये जहांन…
काश तुम्हारे जैसे हम भी
बन पाते भोले नादान…

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.