लघुकथा

छुआछूत का नया रूप

‘अ’ पहली बार अपने दोस्त ‘ब’ के घर गया, वहां देखकर उसने कहा, “तुम्हारा घर कितना शानदार है – साफ और चमकदार”

“सरकार ने दिया है, पुरखों ने जितना अस्पृश्यता को सहा है, उसके मुकाबले में आरक्षण से मिली नौकरी कुछ भी नहीं है, आओ चाय पीते हैं”

चाय आयी, लेकिन लाने वाले को देखते ही ‘ब’ खड़ा हो गया, और दूर से चिल्लाया, “चाय वहीँ रखो…और चले जाओ….”

‘अ’ ने पूछा, “क्या हो गया?”

“अरे! यही घर का टॉयलेट साफ़ करता है और यही चाय ला रहा था!”

— चंद्रेश कुमार छतलानी

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी शिक्षा: विद्या वाचस्पति (Ph.D.) सम्प्रति: सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान) साहित्यिक लेखन विधा: लघुकथा, कविता, बाल कथा, कहानी सर्वाधिक अकादमिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु रिकॉर्ड अंग्रेज़ी लघुकथाओं की पुस्तक रिकॉर्ड हेतु चयनित 12 पुस्तकें प्रकाशित, 8 संपादित पुस्तकें 32+ शोध पत्र प्रकाशित 40+ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त फ़ोन: 9928544749 ईमेल: chandresh.chhatlani@gmail.com डाक का पता: 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर-5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313 002 यू आर एल: https://sites.google.com/view/chandresh-c/about ब्लॉग: http://laghukathaduniya.blogspot.in/

One thought on “छुआछूत का नया रूप

  • किसी के बारे में तो कुछ नहीं कह सकता लेकिन मुझे आप की लघु कथा बहुत अच्छी लगी . आज तक जो हिन्दू धर्म का नुक्सान हुआ है ,इस छूया छात की वजह से ही हुआ है . कितने दलित लोग इसाई बने कितने मुसलमान बने ,किसी को जान्ने की फुर्सत नहीं है ,हाँ घर वापसी की दुहाई बहुत देते हैं या लव जिहाद की . यहाँ मैं रहता हूँ ,चर्मकारों के बच्चे ऊंची जात के बच्चों से शादीआं करवा रहे हैं ,लोग एक दुसरे की शादिओं में जाते हैं और आपस में मिल बैठ कर खाते पीते हैं .कैसी उन्ती है भारत की जो हर चैनल पे नफरत की बातें ही देखने को मिलती हैं .ऐसी लघु कथाएँ और लोगों को भी लिखने चाहिए ताकि जागरूपता बड सके .

Comments are closed.