गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

जिंदगी हारी हुई बाजी हो
क्यों उस बात पर राजी हों ।।

कहाँ करे बयां ए बेगुनाही
जब सारी दुनिया काजी हो।।

मुस्तकबिल संभालूं क्यों न
लाख बेजार मेरा माजी हो ।।

वक्त तू इतना ही वफा कर
कोई एक मेरे दर्द का साझी हो।।

कल मिट्टी में मिल जाना है
आज कितनी भी शेखीबाजी हो ।।

जब हैँ बसिन्दा ए रंजो गम
फिर तन्हाई के क्यूं न रेवाजी हों ।।

क्या जुबां में मिश्री घोलें
जब बज्म में बदमिजाजी हो ।।

आरती आलोक वर्मा 'नीलू'

आरती वर्मा ,"नीलू" W/o----श्री आलोक कुमार वर्मा शिक्षा ---एम ए स्नातक----(भूगोल) स्नातकोतर--(इतिहास) आनंद नगर, सिवान, बिहार जिला -सिवान, शहर--सिवान बिहार राज्य शौक --लेखन ,चित्रकारी पेशा---गृहिणी