मुक्तक/दोहा

दोहा

प्रथम नमन् गणपति करूँ , रिद्धि सिद्धि के साथ /
दूजा नवग्रह को करूँ —- रहें दाहिने हाथ /
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माँ शारद माइया तुझे – कोटि -कोटि प्रणाम /
ज्ञान दायनी माँ करो, जिहवा पर विश्राम/
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शब्द -शब्द मोती बने , उर मे करो निवास/
भक्त यही चाहत करे , शब्द कोष ले आस /
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गणना रचना जब करूँ, यति मापनी विधान/
शब्द शब्द रस गुथ उठे , अलंकार गति मान /
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शब्द-शब्द मोती बने , कंचन सा मम देश/
प्रेम भाव दिखता रहे , स्वागत मन परदेश/

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प्रेम भाव गणना करूं- साधक बन दिन रात/
माँ की ममता नित दिखे – मगन शाम अरू प्रात

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राजकिशोर मिश्र ‘राज’
सर्वाधिकार सुरक्षित

 

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

4 thoughts on “दोहा

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय जी स्नेहिल आत्मीय हौसला अफजाई के लिए कोटिश आभार एवम् नमन्

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सुंदर

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीया बहन जी आपके प्रथम स्नेहिल आत्मीय हौसला अफजाई के लिए कोटिश आभार एवम् नमन्

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