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प्रभु की अहैतुकी कृपा का करिश्मा

प्रभु की अहैतुकी कृपा पल-पल बरस रही है. हमें पता चले-न-चले, उसकी रहमत की बरखा हर क्षण हम को अपनी बौछार के बिंदुओं से आनंदित कर रही है. कभी-कभी हम यह सब समझते हुए भी गफ़लत की निद्रा में चले जाते हैं, लेकिन वह हमें ऐसी समझ दे देता है, कि हम खुद हैरान हो जाते हैं. अब देखिए न! रविवार के दिन मैं काम करते-करते अचानक लैपटॉप से उठकर ड्रेस चेंज करके आई. पोते पूछने लगे, ”दादी, कहां की तैयारी है?” मैंने कहा- ”कहीं नहीं जा रही बच्चे, छुट्टी का दिन है, कोई आ-जा सकता है, बस इसलिए कपड़े बदले हैं.” मैं फिर काम पर बैठ गई. थोड़ी देर बाद ज़ोर की आवाज़ आई. बहूरानी बाहर लॉन में काम कर रही थी, वह भी भागती दिखाई दी. मैंने पूछा, ”बेटे क्या हुआ?” ”ममी बाहर एक बड़ा-सा ट्री गिर गया है, आग लग रही है, आप लोग बच्चों को लेकर जल्दी से बाहर आ जाइए.” हम सब कुछ वैसा ही छोड़कर बच्चों को लेकर तुरंत बाहर आ गए. बहूरानी इमरजैंसी फोन मिलाना चाह रही थी, आग को देखकर डरी हुई उसको नंबर याद नहीं आ रहा था. मैंने दो तीन दिन पहले अपनी जानकारी के लिए उससे यों ही पूछा था, ”बेटे, 000 तो नहीं है?” मैंने याद करते हुए कहा. उसने तुरंत फोन मिलाकर पेड़ गिरने के कारण बिजली के तार गिरने और पेड़ में आग लगने की बात उनको बताई. हम बाहर आए, तब तक बाकी घरों के लोग भी बाहर निकल आए थे. सब लोगों ने कूड़े के बड़े-बड़े बिन्स निकालकर रास्ते में लगा दिए, ताकि उधर से कोई कार आदि न जा पाए. विदेश की त्वरित सर्विस के कारण सब साधनों से लैस फायर ब्रिगेड दो मिनट के अंदर आ गई. कुछ ही मिनटों के अंदर आग पर काबू पा लिया गया. इस बीच वो पड़ोसी भी हमसे बात करके नाम आदि पूछ रहे थे, जो कभी दिखते ही नहीं थे. कुछ देर बाद लाइट तो बहाल हो गई, लेकिन इंटरनेट नहीं आया. आप भी समझ ही गए होंगे, कि प्रभु ने हमें कितनी बड़ी दुर्घटना से बचा लिया था और हमें बाहर निकलकर सबसे मिलना था, इसलिए वेस्टर्न ड्रेस पहनने का संकेत भी दिया. यों मैं सैर पर भी भारतीय ड्रेस में जाती हूं, पर यहां कोई दिखता ही नहीं है और नए होने के कारण हमें कोई जानता भी नहीं. यह तो रविवार होने के कारण अधिकतर लोग घर पर थे, वरना गर्मी के इस मौसम में यहां पंछी भी दिखाई नहीं पड़ता. है न करिश्मा प्रभु की अहैतुकी कृपा का!
पुनश्च- आज तीन दिन बाद इंटरनेट आया है, तभी जय विजय पर आने का अवसर मिला है.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

4 thoughts on “प्रभु की अहैतुकी कृपा का करिश्मा

  • Man Mohan Kumar Arya

    इस रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद। हम कहते हैं की शुभ कर्मों का परिणाम शुभ ही होता है। यहाँ भी यह नियम सत्य चरितार्थ हुआ है। चंदना चंद्रशेखर जी को हितकर बात वा प्रस्ताव करने वा सम्बंधित मंत्री जी द्वारा उसे स्वीकार कर लेने सहित आप ने इस मुद्दे को रोचक रूप में प्रस्तुत किया, एतदर्थ सभी को धन्यवाद है। सादर।

    • लीला तिवानी

      प्रिय मनमोहन भाई जी, लगता है दो प्रतिक्रियाओं का समन्वय हो गया है, वह भी बेमिसाल हो गया है.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    लीला बहन , ब्रिक्ष गिरा ,फाएअर वाले आये ,आग बुझ गई ,internet वापस आ गिया और सब से बड़ी बात लोगों से मिलना हो गिया और ALL IS WELL THAT ENDS WELL, AND EVERY THING IS BACK TO NORMAL ,बस सब प्रभु की लीला ही है .

    • लीला तिवानी

      प्रिय गुरमैल भाई जी, प्रभु की अहैतुकी कृपा सब पर बनी रहे. बिजली वाले पक्का काम करने के लिए बराबर तीन दिन तक लगे रहे थे.

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