गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : ए मेरे हमदम मेरे हमसफ़र

गहरी आँखों से काजल चुराने की बात न करो।
दिलकश चेहरे से घूंघट उठाने की बात न करो।।

सावन है बहुत दूर ए मेरे हमदम मेरे हमसफ़र।
बिन मौसम ही यूँ तुम सताने की बात न करो।।

इंतज़ार ही किया तुम्हारा हर मुलाक़ात के लिए।
ऐसे में फिर तुम अपना जताने की बात न करो।।

प्यार के परिंदे बन उड़ना ही अच्छा इस जहाँ में।
जालिम है जमाना घर बसाने की बात न करो।।

जहां चलती हो प्रेम के विपरीत खूब आँधियाँ ।
वहां फिर प्यार की शमां जलाने की बात न करो।।

“दिनेश”

दिनेश दवे

नाम : दिनेश दवे पिता का नाम :श्री बालकृष्ण दवे शैक्षणिक योग्यता : बी . ई . मैकेनिकल ,एम .बी.ए. लेखन : विगत चार पांच वर्ष से , साँझा प्रकाशन पता : दिनेश दवे , केमिकल स्टाफ कॉलोनी ,बिरलाग्राम, नागदा जिला उज्जैन ..456331..मध्य प्रदेश