लघुकथा

लघुकथा : प्रेम की जीत !!

बिहार के दरभंगा जिले के दो परिवार है . एक है भूमिहार और दूसरा क्षत्रिय. दोनों के परिवार एक दुसरे से अपरिचित है . दो अलग अलग जगहों में रहते है . दोनों के बच्चे शहर में जाकर एक ही कॉलेज में एडमिशन लेते है . भूमिहार परिवार का पुत्र का नाम राजेश है और क्षत्रिय परिवार की लड़की का नाम संगीता है . दोनों के बच्चे शुरू की नोकझोंक के बाद दोनों में दोस्ती हो जाती है . इसी तरह से वो दोनों बहुत गहरे दोस्त बन जाते है .

दुसरे साल की पढाई में कॉलेज की टीम पिकनिक के लिए जाती है . वहां पर नदी में अचानक संगीता फिसल जाती है और बहने लगती है . तब ये राजेश उसकी जान बचाता है . बाद में इसी के कारण उसे निमोनिया हो जाता है . किसी तरह से वो बच जाती है , और लड़के की बहादुरी से संगीता प्रेरित होकर उससे प्रेम करने लग जाती है .और दोनों में प्रेम हो जाता है .

उनका प्रेम परवान चढ़ता है . और वो दोनों निर्णय करते है कि उन्होंने शादी कर लेनी चाहिए . जब वो शहर से वापस जाते है तो अपने अपने परिवार में इसके बारे में बात करते है लेकिन दोनों के परिवार इसके लिए इनकार कर देते है . और दोनों परिवार के मुखिया एक दुसरे से लड़ते भी है .

इसी बीच राजेश की नौकरी किसी और शहर में लग जाती है और वो चला जाता है . वो संगीता से कहता है कि भाग कर शादी कर लेते है . लेकिन संगीता मना कर देती है , वो कहती है कि सबकी रजामंदी से ही शादी होंगी . वो राजेश को विश्वास दिलाती है कि वो दोनों परिवारों को जोड़ेंगी .

संगीता , राजेश के छोटे भाई नरेश से दोस्ती करती है और उसी के सहारे वो राजेश की माँ से भी मिलती है . और धीरे धीरे वो राजेश की माँ को पसंद आने लगती है. राजेश की मां संगीता से , उसकी सादगी से , उसकी सरलता से और उसके बातो से बहुत प्रभावित होती है . वो और राजेश का छोटा भाई नरेश , दोनों मिलकर धीरे धीरे परिवार के सारे सदस्यों को संगीता की तरफदारी में धीरे धीरे जोड़ते है .

कई घटनाएं घटती है और धीरे धीरे दोनों परिवार एक दुसरे के करीब आते है .सिर्फ राजेश के पिता ही नहीं मानते है . फिर एक दिन वो बीमार हो जाते है , मेडिकल हॉस्पिटल में चेकअप के दौरान पता चलता है कि उनकी दोनों किडनी फेल हो गयी है . उनके परिवार में किसी भी सदस्य के किडनी का मेल उनसे नहीं होता है . वो मृत्यु के द्वार तक पहुँच जाते है . ऐसे में वो संगीता अपनी किडनी की जांच करवाती है और ये पता चलता है कि उसकी किडनी राजेश के पिताजी की किडनी से मैच / मेल करती है . तो वो ये निर्णय करती है कि वो राजेश के पिता को अपनी एक किडनी देंगी . सभी उसे मना करते है , पर वो अपनी किडनी , राजेश के पिता को डोनेट करती है . और वो बच जाते है

संगीता के त्याग को देखकर राजेश के पिता रो देते है. और उसे अपनी गलती समझ में आ जाती है . उनके ठीक होते ही राजेश और संगीता की शादी हो जाती है .

इस तरह से संगीता ने अपनी हिम्मत और दया और प्रेम से राजेश के कट्टर परिवार को जोड़ा दिया और अपने प्रेम को भी हासिल कर लिया