कविता

वर्ण पिरामिड

 

शीर्षक = जयहिंद

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1

है

भीती

अधीती

जयहिंद

हिम ताज है

तोड़ न सका है

जयचंद संघाती

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2

भू

गीती

चुनौती

अग्रवर्ती

नेक-नीयती

जुडाये अकृती

जयहिंद उदोती

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3

स्व

सत

विजयी

खल हारा

गर्व हमारा

जयहिंद नारा

भा की खोज में रत (भारत की समीक्षा)

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हिन्द की जितनी जय की जाये ….. कम ही होगा

जय हिन्द

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ