मत्तगयन्द सवैया =वार्णिक छन्द
मत्तगयन्द सवैया =वार्णिक छन्द सात भगण अंत में दो गुरू मापनी =२११ २११ २११ २११ =२११ २११ २११ २२= २३
Read Moreमत्तगयन्द सवैया =वार्णिक छन्द सात भगण अंत में दो गुरू मापनी =२११ २११ २११ २११ =२११ २११ २११ २२= २३
Read Moreमैंमैं प्रणय निवेदन करता हूं, स्वीकार करो स्वीकार करो। मन मंदिर आन बसो मेरे, मन वीणा में झंकार भरो॥ अंतर
Read Moreदोस्त सब अपने पुराने छोड आया हूं। ज़िन्दगी के सब तराने छोड आया हूं॥ गाँव का तालाब पीपल की घनी
Read Moreचेहरे पर चेहरा लगाकर जी रहा है आदमी। खुद से भी खुद को छुपाकर जी रहा है आदमी॥ कहने को
Read Moreयह दुनियां रंग मंच है, किरदार है हम सारे। करना है वही हाल, लिखा है जो उसने प्यारे॥ नियति ने
Read Moreनवल किशोरी चली, ब्रज की चकोरी चली मुरली की तान सुन, मन नाहि धीर है। जिसे देखो हर कोई, सुध
Read Moreकल – ए-बारिश तुझे बरसना है तो, दिल खोल के बरस, यूँ बूँद-बूँद कर तड़पाया मत कर, भीगना चाहता हूँ
Read Moreरास्ते अंजान से है हमसफ़र कोई नही। भीड है काफी यहाँ अपना मगर कोई नही॥ देख कर उसको लगा की
Read Moreसोशल नेटवर्किंग महिलाओं को बाहरी दुनिया से जोड़ने का एक बहुत बड़ा जरिया है। चारदीवारी में कैद महिलाओं में कूपमंडूकता
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