कविता

चाहती तो आज भी हूँ..

चाहती तो मै आज भी हूँ तुम्हे
लेकिन बस एक अंतर है
पहले तुम मेरे साथ थें
आज मै तुम्हारे साथ
पहले तुम मुझे टूटकर चाहते थे
आज मै तुम्हे चाहती हूँ
शायद उस पल मै तेेरे प्यार को
पहचान न पायी
तेरे जज्बात को समझ न पायी
समझने मे देर क्या हुयी
तुम कोशो दूर निकल गयें
आज करती हूँ मै आरजू
आ जाओ एक बार
फिर से करते है प्यार का इजहार
मान जाओ मेरी बात
भूल जाओ पहले की बात
फिर से मिलकर हम दोनो
कर लेते है नये विचार|
निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४