नई चेतना भाग –२२
सुशिलाजी की बात सुनते ही बाबा धरनिदास ने अपना पासा फेंका ” कोई बात नहीं देवीजी ! हम तो भक्तों
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Read Moreमिट्टी वाले दीये जलाना जो चाहो दीवाली हो उजला-उजला पर्व मने कही रात न काली हो मिटटी वाले…………….. जब से
Read Moreआओ ऐसा दीप जलायें सबके मन रौशन हो जायें अँधियारे सब माफ़ी माँगे हाथ जोड़ घर-घर से भागें और
Read More“भैया ! जरा कुछ कान के बुंदों के डिजाइन दिखाना।” लड़की ने सुनार से कहा। सुनार ने भार तोलकर एक
Read Moreविजात छंद पहला और 8वाँ अक्षर लघु (पदान्त- है, समान्त- आई ) मापनी 1222 1222 1222 1222 -गीतिका- हमारे देश
Read Moreजीवन यज्ञ प्रकाश हैं, यही तीज त्यौहार भर देते खुशियां शहर, आप लिए व्यवहार गाँव गिरांव सुदूर से, आशा लाए
Read Moreकणकण है बिखरा जगत, धरती करें पुकार माँटी माँटी पूछती, कहाँ चाक कुंभार कहाँ चाक कुंभार, सृजन कर दीया-बाती आज
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