कविता

उडान

अब छोडो तुम
सपनो मे उडान भरना
सपनो से बाहर निकलकर
पंख का आस तुम त्याग कर
मन मे विश्वास रख कर
हौसला से उडान भरो
कौन कहता पंख से ही
उडान भरते है
यदि हो हौसला बूलंद
तो जमीं की बात कौन करे
आसमां का भी सैर कर सकते है
बस मन मे हो आत्मविश्वास
तो जमीं आसमां को एक कर सकोगें|

निवेदिता चतुर्वेदी ‘ निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४