राजनीति

क्या समाजवादी दल में सब ठीक हो गया?

विगत महीनों में समाजवादी परिवार में चाचा-भतीजे के बीच जो कलह सड़क पर आ गयी थी और जिसके कारण सपा में विभाजन की लकीरें भी दिखलायी पड़ने लग गयी थीं, अब समाजवादी परिवार की सत्ता से चिपके रहने की चाहत के चलते ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के चरखादांव से अब सबकुछ ठीक (आल इज वेल) हो गया है। प्रदेश में समाजवादी सरकार को वापसी कराने और अगला बजट भी सपा के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कीे ओर से ही पेश करने का जोरदार दावा करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की समाजवादी विकास रथयात्रा भारी जोश, उत्साह व उमंग के साथ निकल पड़ी है। प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री को पूरी आशा ही नहीं, बल्कि विश्वास है कि प्रदेश में अगली सरकार भी समाजवादियों की ही बनेगी।

समाजवादी विकास रथयात्रा के बहाने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भीड़ जुटाकर यह दिखाने का प्रयास किया है कि जनता उनके साथ है व सपा मुखिया मुलायम सिंह व चाचा शिवपाल की उपस्थिति से यह संकेत भी जा रहा है कि अब सपा में सब ठीक हो गया है। अब यह भी साफ हो गया है कि समाजवादी परिवार की जो कलह विगत दिनों सामने आ रही थी वह केवल पारिवारिक सियासी तयशुदा ड्रामेबाजी थी। वहीं दूसरी ओर जहां सपा के मुख्यमंत्री विकास रथयात्रा और विभिन्न क्षेत्रों में करोड़ांें-अरबोें रूपये की योजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन करके जनता के बीच अपने पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास करते नजर आयंेंगे वहीं दूसरी ओर समाजवादी दल अपने रजत जयंती समारोह में महागठबंधन की एक तस्वीर भी जनता के सामनेे प्रस्तुत करने का प्रसास कर रही है।

रजत जयंती समारोह से पता चल रहा है कि सपा का संकट दूर हो गया है और अब सभी दल पूरी तरह से एकत्र होकर केवल और केवल भाजपा, संघ परिवार व पीएम मोदी का जी भरकर अपमान करेंगे। समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह से जो खबरें आयी हैं उससे पता चल रहा है कि लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी की लहर के चलते मात खाये ये सभी दल किसी भी प्रकार सेे अब भाजपा को सत्ता में नहीं आने देंगे। चाचा शिवपाल यादव का कहना भी है कि वे भाजपा को सत्ता में आने से रोकने के लिए साम, दाम, दंड, भेद सभी का इस्तेमाल करेंगे।

सपा के राजत जयंती समारोह के दौरान जितने भी नेता इकट्ठा हुए हैं, अब वे अपने राजनैतिक कैरियर के अंतिम दौर से गुजर रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा की हालत के बारे में कुछ नहीं कहना। वहीं लालू प्रसाद यादव भाजपा से खार खाये बैठे हैं बिहार जीतने के बाद भी उनका गुस्सा कम नहीं हो रहा है। अब लालू यादव कभी भी प्रधानमंत्री का पद तो दूर संभवतः सांसद बनने लायक भी नहीं रह जायेंगे यही हाल शरद यादव और के.सी. त्यागी सरीखे नेताओं का हो गया है। सभी समाजवादियों, लोहियावादियों और चरणसिंहवादियों के समक्ष अपना अस्तित्व बचाने का गम्भीर संकट पैदा हो गया है। ये सभी लोग आज केवल अपना अस्तित्व बचाकर रखने के लिए समाजवादी मंच पर एकजुट हो रहे हैं। समाजवादी मंच पर ही एकजुट नेताओं की आपस में कलह की छाप भी दिखलायी पड़ गयी है। चाचा शिवपाल यादव अपने मन की बात कहने से नहीं चूके। हालांकि राजद नेता लालू यादव ने जबर्दस्ती मेल-मिलाप करवाने का भी प्रयास किया।

समाजवादी विकास रथयात्रा को सपा मुखिया मुलायम सिंह ने झंडी दिखाकर रवाना किया। वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने अलग अंदाज में दिख रहे थे। इस दौरान यह समाजवादी लोगों की ओर से यह दावा किया गया कि समाजवादी लोगों ने साढ़े चार साल सबसे बेहतर काम किया है। उप्र में रथ चलाने की परम्परा का आरम्भ सपा मुखिया मुलायम सिंह की ओर से ही किया गया था। इस दौरान चाचा शिवपाल ने भी अपने भतीजे और युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को यात्रा की सफलता के लिए बधाई भी दी। अब रथयात्रा और रजत जयंती समारोह के माध्यम से जहां समाजवादी परिवार में एकजुटता को जनता के बीच दिखाया जाने लगा है वहीं महागठबंधन के बहाने अपनी ताकत दिखाकर अब सभी दल व नेता एकत्र होकर पीएम मोदी व भाजपा को पानी पी-पीकर कोसने लग गये हैं। राजद नेता लालू यादव ने बेहद अहंकार पूर्ण और अलोकतांत्रिक भाषाशैली का प्रयोग करते हुए दावा किया है कि जिस प्रकार से बिहार से भाजपा को बाहर का रास्ता दिखाया गया उसी प्रकार से अब उत्तर प्रदेश का नम्बर है और फिर देश के बाहर इन लोगों को फेकना है कि बात कहीं।

यह इन नेताओं का जबर्दस्त अहंकार बोल रहा हैं। उप्र के भाजपा नेता विनय कटियार ने इन सभी नेताओं के गठबंधन को महाठगबंधन की संज्ञा दी है। वास्तव में यह सभी नेता ठग हैं और जब चुनाव आते हैं तो इसी प्रकार से अपने बिलों से निकलकर आ जाते हैं। आज इन दलों के समक्ष सबसे बड़ी ंिचंता मुस्लिम मतदाता हैं। अभी समाजवादी कलह के कारण सबसे अधिक चिंता यदि की जा रही थी तो वह है कहीं मुस्लिम मतदाता छिटककर बसपा के पास न चले जायें। सपा के मुस्लिम नेता आजम खां भी पत्र लिखकर कह चुके हैं कि यदि यह सबकुछ इसी प्रकार चलता रहा तो उप्र में भी अगली सरकार किसी और की बन जायेगी। आज सपा का जो एकीकरण हो रहा है वह केवल भाजपा के भय और मुस्लिम मतों के विभाजन को रोकने के लिए ही हो रहा है।

राजनैतिक विश्लेषक और सर्वेकर्ता यह अनुमान लगा रहे हैं कि मुख्यमंत्री की प्रदेश के बीच जो अच्छी छवि बरकरार है उसके पीछे कुछ हद तक मुस्लिम समाज भी है। कहीं यह मुस्लिम समाज बहकावे में न आ जाये अतः उसका क्षरण रोकने का प्रयास हो रहा है। लेकिन आज मुस्लिम समाज में असमंजस की स्थिति पैदा हो गयी हैं। यह सभी दल तीन तलाक के मुददे पर कटटरपंथी सोच के साथ खड़े दिखायी पड़ रहे हैं। यह सभी दल केवल अपने वोटबैंक को हमेशा के लिए अपने पास गुलाम बनाकर रखना चाह रहे हैं। आज लाखों तलाकशुदा मुस्लिम महिलायें अब इस घृणित विकृति से छुटकारा पाना चाह रही हैं। माना जा रहा है कि इसका असर भी अगले चुनावों में पड़ सकता हैं। कहीं न कहीं इन सभी दलों व नेताओं में भयंकर भय का वातावरण व्याप्त हो चुका है। महागठबंधन केे प्रयास तो शुरू हो गये हैं लेकिन अभी इसका रास्ता काफी कठिन है। यह चुनावों के पहले नहीं हो सका है लेकिन चुनाव परिणामों के बाद भी अब यह रास्ता खुला रहेगा। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है कि सभी दलों के अथक प्रयासों के बाद भी इस बार किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने जा रहा है। उन परिस्थितियों में इन दलों के पास अपना खेल खेलने का मार्ग खुला रहेगा।

उधर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का पहला जबर्दस्त पड़ाव उन्नाव रहा जहां की जनता को मुख्यंमत्री ने लगभग 600 करोड़ की योजनाओं की सौगात दी। उन्नाव में 1670 विकास कार्यो का शिलान्यास व लोकार्पण मंच से ही किया। लोकार्पित योजनाओं में लगभग 103 करोड़ रूपये की लागत से निर्मित उन्नाव-शुक्लागंज 4 लेन सड़क मार्ग, 13 किमी साइकिल ट्रैक, सफीपुर एवं बांगरमऊ में राजकीय बालिका इंटर कालेज, फतेहपुर चैरासी, पारा तथा बीघापुर में आईटीआई मानपुर आदि शामिल हैं। इस दौरान सरकार व पार्टी ने कार्यक्रम होर्डिंग से पाट दिया। सबसे अधिक चर्चा का विषय यह हो गया कि समाजवादी विकास रथ थोड़ी दूर चलकर बंद हो गया। इस विकास रथ की लागत 1.20 करोड़ रूपये हैं इसे सुविधायुक्त बनाने में 80 लाख रूपये खर्च हुये हैं।

बसपा नेत्री मायावती ने विकास रथयात्रा पर जमकर भड़ास निकाली है। बसपा नेत्री मायावती का कहना है कि यह दिवालिया और बदहाली की रथयात्रा है। उन्होंने मुख्यमंत्री को अराजक तत्वों का संरक्षक भी बताया। उन्होंने दावा किया कि यदि सपा सरकार में विकास के काम हुए होते तो आज उन्हें यह रथयात्रा निकालने की जरूरत न पड़ती।

मृत्युंजय दीक्षित