लेख

देशहित में इतना सा कष्ट तो बनता है बाॅस

दिनांक 08/11/16 रात्रि जब प्रधानमंत्री जी ने यह ऐलान किया कि अब से 500 रूप और 1000 रू के नोट बंद होंगे तो यह एक बेहद चौकाने वाला निर्णय था । सभी सकते में थे कि आगे अब क्या और ऐसा निर्णय क्यो ? लेकिन सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय कोई जल्दीबाजी में लिया फैसला नहीं था अपितु यह एक लम्बी योजना का फल था । जो केन्द्र सरकार द्वारा लिया गया बेहद ठोस और दूरदर्शी फैसला था ।
सरकार ने सबसे पहले जनधन योजना के तहत यह सुनिश्चित किया था कि देश के हर एक नागरिक का खाता हो चाहे उसके पास पैसे हो या ना हो । फिर एक योजना कालाधन जमा कर सिर्फ 45 फीसदी टैक्स देकर अपनी रकम को सफेद कर इमानदार होने का मौका भी दिया । लेकिन अब बारी थी उनपर सख्ती बरतने की जो इन योजनाओं के बाद भी अपने कान में तेल डालकर बैठे थे और उन्हें भरोसा था कि सरकार चाहे कुछ भी कर ले वो अपने काले धन को सार्वजनिक नहीं करेंगे । लेकिन अभी केन्द्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक आना बाकी था और फिर जो कुछ हुआ देश के सभी नागरिक इससे अवगत है ।
लेकिन इस ठोस कदम के बाद सबकी नजर थी देश के आम नागरिक , तथा तमाम विपक्षी दलों के प्रतिक्रिया पर , तथा सरकार द्वारा इसके सुगमता से कार्यान्वयन पर , सवाल था आखिर सरकार कैसे सारे नोट को बदलने का कार्य करेगी ? कितना वक्त देगी सरकार ? जिससे आम जनता को ज्यादा परेशानी का सामना न करना पड़े या कम करना पड़े , सरकार इन नोटो के बदलाव के प्रक्रिया में कैसे काला धन को वापस बैक खाते में पहुंचने से रोकेगी?
बेहद जरूरी आवश्यकता जैसे रेल , बस टिकट , अस्पताल, दूध पेट्रोल पम्प इत्यादी की जरूरत, जिसे एक दिन भी टाला नहीं जा सकता है , ऐसे जगह पर सरकार आम नागरिक की मदद कैसे करेंगी ?
लेकिन जैसा मैने पहले ही कहा यह एक दूरदर्शी फैसला था । जिससे न सिर्फ काला धन संचय करने वाले अपितु नकली नोटों के सौदागर , आतंकवाद को फंडिंग करने वाले तथा सभी असामाजिक तत्व जो इन अवैध रूप से संचित धन का उपयोग देश को बर्बाद करने में कर रहे थे उन पर भी लगाम लगाना था । सरकार ने पूरे 50 दिन का वक्त दिया है आम जनता को जिससे वो आसानी से अपने 500 और 100 रूपये के नोट को बैक में जमा करवा सकते है । सरकार ने बहुत चतुराई से जमा राशि की कोई सीमा का निर्धारण नहीं किया जिससे आम इमानदार नागरिक को किसी मुश्किल का सामना न करना पड़े लेकिन काला धन पर रोक लगाने हेतु बस इतना कहा कि 2.5 लाख से अधिक रूपए जमा कराने वालों के खाते की जांच होगी और काला धन की पुष्टि की स्थति में 200 प्रतिशत तक पेनाल्टी लगाने का प्रावधान भी होगा । यह स्थिति काला धन संचय करने वालों के लिए ऐसी है कि न वो उस रूपए का उपयोग कर सकते है न ही उसे बैंक में जमा ही कर सकते है ऐसे में इसे केन्द्र सरकार का काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक की अगर संज्ञा दी जा रही तो कुछ गलत नहीं है । सरकार ने प्रतिदिन 1000 और 500 के नोट बदलकर उसके बदले नये नोट बैक से प्राप्त करने को भी सिर्फ 4000 रू तक सीमित रखा है यह भी बहुत चतुराई भरा निर्णय कहा जा सकता है । इसके लिए समय सीमा 10 नवंबर से 31 दिसंबर का रखा गया है । बैंको में उमड़ने वाली अत्यधिक भीड़ को देखते हुए यह भी निर्णय लिया कि जो 31 दिसंबर तक अपना रूपया नहीं जमा करवा पाए वो 31 मार्च तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में अपना पैसा घोषणा पत्र के साथ जमा करवा सकते है । यह निर्णय भी बेहद दूरदर्शी कहा जाएगा । एक आम इमानदार नागरिक की तरह खुद को देखे तो सरकार ने वो हर आवश्यक इंतजाम करने की कोशिश की है जिससे मुश्किल को कम किया जा सके । हास्पीटल , रेल टिकट , बस टिकट , मिल्क पार्लर तथा पेट्रोल पंप जैसे जगहो पर कुछ दिनों तक पुराने रूपए स्वीकारने की छूट भी आम नागरिक की सुविधा और जरूरत को ध्यान में रख कर ही लिया गया निर्णय है ।
लेकिन जाहिर है हर सकारात्मक परिवर्तन में कुछ वक्त जरूर लेता है । हमे आजादी भी एक दिन में नहीं मिल गई थी । आज हमे काले धन से भी अगर आजादी चाहिए तो थोड़ा वक्त तो देना पड़ेगा । विपक्षी आज आम जनता की परेशानी से बहुत व्यथित दिखाई देते है । दलील है , आम जनता को बहुत मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है , सिर्फ नोट बंद करने से काला धन वापस नहीं आएगा । बैंक में रूपया बदलने वालों की पंक्ति में कोई बड़ा आदमी नहीं खड़ा है , आदि
लेकिन अगर हम सारी प्रक्रिया का बारीक विश्लेषण करे तो सरकार ने जहाँ एक झटके में नकली नोट के सौदागर, आतंकवाद के फंडिंग पर तथा काले धन अपने घर में बंद कर रखने वालों पर लगाम तो लगा ही दिया है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता है । अब फिर सवाल उठता है कि क्या गारंटी है कि आगे से काला धन संचय नहीं होगा तो निश्चित रूप से सरकार के पास कोई योजना जरूर होगी विपक्ष को और आम नागरिक को थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है । विपक्ष का सारा हंगामा नोट परिवर्तन की प्रक्रिया को लेकर है तो जाहिर है भारत देश की जनसंख्या को देखते किसी भी कार्य को लेकर लम्बी लम्बी कतारों को लग जाना कोई बड़ी बात नहीं है । हम आए दिन इस मुसीबत से रू ब रू होते है । आप किसी भी बड़े मंदिर के दर्शन हेतु जाए दो से तीन घंटा तो कतार में लगना बहुत समान्य सी बात है । इसके इतर हम हर दिन राशन के कतार में , बिजली बिल जमा करने के कतार में , सिनेमा टिकट हेतु कतार में ,बस , रेल टिकट हेतु कतार में, रेस्टोरेंट में खाना खाने हेतु कतार में और तो और किसी बड़े रेलवे स्टेशन के सुलभ इंटरनेशनल के शौचालय में शौच हेतु भी कतार में ही लगते है । भले ही यह बहुत बड़ी विडंबना है लेकिन कटू सत्य है तो क्या हम आज जब हमारा देश आतंकवाद की बारम्बार चोट से परेशान है , हम सब जानते है कि देश में नकली नोट का कारोबार हो रहा है और कालाधन रखने वालों का बोलबाला है । ऐसे में क्या हम देश के खातिर कतार में नही लग सकते है । देशहित में इतना सा कष्ट तो बनता है बाॅस
अमित कु अम्बष्ट ” आमिली ”

अमित कुमार अम्बष्ट 'आमिली'

नाम :- अमित कुमार अम्बष्ट “आमिली” योग्यता – बी.एस. सी. (ऑनर्स) , एम . बी. ए. (सेल्स एंड मार्केटिंग) जन्म स्थान – हाजीपुर ( वैशाली ) , बिहार सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन विभिन्न समाचार पत्र और पत्रिकाओं में निरंतर आलेख और कविताएँ प्रकाशित पत्रिका :- समाज कल्याण ( महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की मासिक पत्रिका), अट्टहास, वणिक टाईम्स, प्रणाम पर्यटन, सरस्वती सुमन, सिटीजन एक्सप्रेस, ककसाड पत्रिका , साहित्य कलश , मरूतृण साहित्यिक पत्रिका , मुक्तांकुर साहित्यिक पत्रिका, राष्ट्र किंकर पत्रिका, लोकतंत्र की बुनियाद , समर सलील , संज्ञान साहित्यिक पत्रिका,जय विजय मासिक बेव पत्रिका इत्यादि समाचार पत्र: - प्रभात खबर, आज , दैनिक जागरण, दैनिक सवेरा ( जलंधर), अजित समाचार ( जलंधर ) यशोभूमि ( मुम्बई) ,उत्तम हिंदु ( दिल्ली) , सलाम दुनिया ( कोलकाता ) , सन्मार्ग ( कोलकाता ) , समज्ञा ( कोलकाता ) , जनपथ समाचार ( सिल्लीगुडी), उत्तरांचलदीप ( देहरादून) वर्तमान अंकुर ( नोएडा) , ट्रू टाइम्स दैनिक ( दिल्ली ) ,राष्ट्र किंकर साप्ताहिक ( दिल्ली ) , हमारा पूर्वांचल साप्ताहिक ( दिल्ली) , शिखर विजय साप्ताहिक , ( सीकर , राजस्थान ), अदभुत इंडिया ( दिल्ली ), हमारा मेट्रो ( दिल्ली ), सौरभ दर्शन पाक्षिक ( भीलवाड़ा, राजस्थान) , लोक जंग दैनिक ( भोपाल ) , नव प्रदेश ( भोपाल ) , पब्लिक ईमोशन ( ) अनुगामिनी ( हाजीपुर, बिहार ), लिक्ष्वी की धरती ( हाजीपुर, बिहार ), नियुक्ति साप्ताहिक ( रांची / वैशाली , बिहार) इत्यादि प्रकाशित कृति :- 1 . खुशियों का ठोंगा ( काव्य संग्रह ) उदंतमरुतृण प्रकाशन , कोलकाता साझा काव्य संग्रह ............................... 1. शब्द गंगा (साझा ), के.बी.एस प्रकाशन , दिल्ली 2. 100 कदम (साझा ) , हिन्द युग्म , दिल्ली 3. काव्यांकुर 4 ( साझा ) शब्दांकुर प्रकाशन, दिल्ली 4. भाव क्षितिज ( साझा ) वातायन प्रकाशन, पटना 5.सहोदरी सोपान 3 ( साझा) , भाषा सहोदरी संस्था , दिल्ली 6 रजनीगंधा ( पता :- PACIFIC PARADISE FLAT NO - 3 A 219 BANIPARA BORAL KOLKATA 700154 MOB - 9831199413