कविता

सब्र कर

एक पुल भी जो बनता है तो
कई दिक्कतें आती हैं ।
घर भी जो बनने लगे तो
थोड़ी परेशानी हो जाती है ।
अभी तो देश बन रहा है मित्र
थोड़ी तकलीफें आएंगीं ही ।
सब्र कर जरा तू मेरे दोस्त
ये घटा भी छट ही जायेगी ।
दूर होगी सारी झंझट
जीवन खुशीयों से मुस्काएगी ।
जल्द एक सुनहरा भविष्य आकर
तेरी सारी तकलीफें हर लेगी ।
हर ओर बस होगी खुशहाली
कम होगी देश से बदहाली ।
जब हर बच्चा शिक्षित बन जाएगा
ये सब्र तेरा एक दिन देश में समृद्धि लाएगा ।
थोड़ा धीरज रख मेरे यार
हर दिन होगा फिर त्यौहार ।
देश सुखी-सम्पन्न हो जाएगा
ये त्याग तेरा एक नया सवेरा लाएगा ।

— मुकेश सिंह
सिलापथार,असम
09706838045

मुकेश सिंह

परिचय: अपनी पसंद को लेखनी बनाने वाले मुकेश सिंह असम के सिलापथार में बसे हुए हैंl आपका जन्म १९८८ में हुआ हैl शिक्षा स्नातक(राजनीति विज्ञान) है और अब तक विभिन्न राष्ट्रीय-प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में अस्सी से अधिक कविताएं व अनेक लेख प्रकाशित हुए हैंl तीन ई-बुक्स भी प्रकाशित हुई हैं। आप अलग-अलग मुद्दों पर कलम चलाते रहते हैंl