कविता

कविता

सुनो मै तुम्हे हर रोज
याद कर लेती हूँ
किसी बहाने से
कभी वो पुरानी डायरी
तो कभी पुराना खत
कभी तुम्हारी तस्वीर
तो कभी सूर्ख गुलाब के फूल
लेकिन क्या कभी तुम
मुझे भी याद करते हो
मेरे जैसा क्या तुम भी तन्हा रहते हो
मै तो खोयी खोयी सी रहती हूँ
तेरे आने का इंतजार करती हूँ
कब आये वो शुभ घडी
जिसमे साथ रहे हमदोनो
तन्हाई मे बिते पलो को
मिल छोड आये कही
खुशियो से दामन भर
कुछ हसिन लम्हे
साथ तुम्हारे बिताये हम
अब तुम और देर लगाओ नही
मुझको यूँ तडपाओ नही
जल्दी से वापस लौट आओ
करो ना कोई बहाना अब|
निवेदिता चतुर्वेदी ‘निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४