कविता

कविता : चार कंधों की दरकार 

सांसों के मध्य संवेदना का सेतु

ढहते हुए देखा

देखा जब मेरी सांसे है जीवित
क्या मृत होने पर
सवेंदनाओं की उम्र कम हो जाती
या कम होती चली जाती
भागदोड़ भरी जिंदगी में
वर्तमान हालातों को देखते हुए लगता है
शायद किसी के पास वक्त नहीं
किसी को कांधा  देने के लिए
समस्याओं का रोना लोग बताने लगे
और पीड़ित के मध्य अपनी भी राग अलापने लगे
पहले चार कांधे लगते
कही किसी को अब अकेले ही उठाते देखा ,
रुंधे कंठ को
बेजान होते देखा खुली आँखों ने
संवेदनाओं को शुन्य होते देखा
संवेदनाओ को गुम होते देखा
ह्रदय को छलनी होते देखा
सवाल उठने लगे
मानवता  क्या मानवता नहीं रही
या फिर संवेदनाओं को स्वार्थ खा गया
लोगों की बची जीवित सांसे अंतिम पड़ाव से
अब घबराने लगी
बिना चार कांधों के न मिलने से अभी से
जबकि लंबी उम्र के लिए कई सांसे शेष है
ईश्वर से क्या वरदान मांगना चाहिए ?
बिना चार कांधों के हालातों से  कलयुग में
अमरता का वरदान मिलना ही चाहिए
ताकि हालातों को बद्तर होने से बचाया जा सके
— संजय वर्मा “दृष्टी”, मनावर

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच