गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

काजल से आँखें आँज के पलकें न मूंदिये
दरपन पे क्या है गुजरी जरा ये तो पूछिए

बदली की ओट में कहीं होगा छिपा जरूर
जुल्फें हटा के रुख से उजाले को ढूंढ़िए

खुशबू गले के हार से आएगी शर्त है
फूलों के बीच-बीच कोई दिल भी गूँथिए

खुशबू बता रही है कोई आस-पास है
श्वासों को देखिए कि हवाओं को सूँघिए

जीवन का मंत्र भी इन्हीं श्वासों में है बसा
वातावरण में ‘शान्त’ नये प्राण फूँकिए

देवकी नन्दन ‘शान्त’

देवकी नंदन 'शान्त'

अवकाश प्राप्त मुख्य अभियंता, बिजली बोर्ड, उत्तर प्रदेश. प्रकाशित कृतियाँ - तलाश (ग़ज़ल संग्रह), तलाश जारी है (ग़ज़ल संग्रह). निवासी- लखनऊ