बाल कविता

काव्यमय कथा-1 : लोभी रामू

रोज़ सवेरे मुर्गी चिनचिन,
सोने का अंडा देती एक,
खुश हो रामू ले लेता था,
कहता मुर्गी कितनी नेक!

एक दिवस आया जब लेने,
अंडा मुर्गी चिनचिन का,
सोचा उसने क्या ही अच्छा,
खत्म को झंझट हर दिन का.

सारे अंडे साथ लेने को,
चाकू ले तैयार हुआ,
एक बार भी परिणाम का,
उसने नहीं विचार किया.

चाकू से कट मुर्गी मर गई,
अंडा निकला एक नहीं,
लोभी रामू रोता रह गया,
लोभी होना ठीक नहीं.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244