गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल- आदमी क्या लिबास होता है

आपका जो भी ख़ास होता है
दूर होकर भी पास होता है.
वो ही बस वो ही याद आता है,
जब कभी दिल उदास होता है.
उसकी आँखों में झाँक लेता हूँ,
जब भी खाली गिलास होता है.
वो ये कहता है प्यार का मतलब-
“बुझ न पाये वो प्यास” होता है.
मिल ही जाती है कोई पारो भी,
कोई जब देवदास होता है.
आँकिये मत लिबास से उसको,
आदमी क्या लिबास होता है.

डॉ. कमलेश द्विवेदी