स्वास्थ्य

पथरी की समस्या और समाधान

आजकल पथरी की समस्या आम हो चली है। पथरी प्रायः दो जगह होती है- गुर्दे (किडनी) में या पित्ताशय (गाल ब्लैडर) में।

गुर्दे की पथरी की बड़ी वजह खान-पान की गलत आदतें होती हैं। जब नमक एवं अन्य खनिज पदार्थ जो हमारे मूत्र में होते हैं एक दूसरे के सम्पर्क में आकर और पानी की कमी से मूत्र गाढ़ा हो जाता है तो किडनी के अन्दर छोटे-छोटे पत्थर जैसे कठोर कण बन जाते हैं जिन्हें पथरी के रूप में जाना जाता है। यह अलग-अलग आकार की हो सकती हैं। कुछ पथरी रेत के दानों की तरह छोटे आकार की होती हैं, तो कुछ बड़े दानों के आकार की।

आम तौर पर छोटी-मोटी पथरी मूत्र के माध्यम से शरीर से निकल जाती हैं, लेकिन जो बड़े आकार की होती हैं, वे बाहर नहीं निकल पातीं और मूत्र बाहर निकालने में भी बाधा डालती हैं। इससे बहुत दर्द उत्पन्न होता है। गुर्दे की पथरी का दर्द कभी-कभी सहन करना भी कठिन हो जाता है। इसमें पेशाब करने में बहुत कठिनाई होती है और कई बार पेशाब रुक जाता है।

पित्त की थैली (गाल ब्लैडर) पेट के दायें ऊपरी भाग में लिवर के ऊपर चिपकी होती है। गाॅल ब्लैडर में पथरी बनने से बहुत भयंकर पीड़ा होती है। पित्ताशय की पथरी दो प्रकार से बन सकती है- 1. कोलेस्ट्रोल से या 2. पिगमेंट से। अस्सी प्रतिशत मामलों में पित्त की पथरी कोलेस्ट्राॅल से बनती है।

पथरी होने की कोई उम्र नहीं होती, यह किसी भी उम्र में हो सकती है। आम तौर पर यह रोग 30 से 60 वर्ष तक की उम्र के लोगों को होता है। महिलाओं में यह रोग पुरुषों की तुलना में कम होता है। बच्चों और वृद्धों में प्रायः मूत्राशय की पथरी अधिक बनती है जबकि वयस्कों में अधिकतर गुर्दों और मूत्रनली में पथरी बनती है।

यदि पथरी का समय पर इलाज न किया जाये, तो इसका रक्तचाप और हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है। लिवर के खराब होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए पथरी होने पर लापरवाही न करें और इसका सही इलाज करें, ताकि भविष्य में
फिर पथरी न बन सके।

पथरी के आयुर्वेदिक उपचार

1. पथरी होने पर एपल साइडर विनिगर (सेब का सिरका) दो चम्मच और एक चम्मच शहद को एक कप गर्म पानी में मिलाकर दिन में दो तीन बार लें। इससे खुलकर पेशाब होता है और यह पथरी को जल्दी ही गलाकर बाहर निकाल देता है। 15-20 दिनों में ही पथरी से छुटकारा मिल जाता है।

2. नारियल का पानी पीने से पथरी में बहुत लाभ होता है। इसलिए पथरी होने पर नारियल पानी प्रतिदिन पीना चाहिए।

3. करेले का रस पथरी में रामबाण की तरह काम करता है। इसमें मैग्नीशियम और फाॅस्फोरस नामक तत्व होते हैं, जो पथरी बनने से रोकते हैं। पथरी होने पर दो चम्मच करेले का रस सुबह-शाम पीना चाहिए। इससे पथरी टूटकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है।

4. आँवला पथरी में बहुत लाभ करता है। नित्य प्रातः आँवले का चूर्ण मूली के साथ खाने पर मूत्राशय की पथरी निकल जाती है।

5. पथरी में पत्थरचट्टा के पत्ते अत्यंत लाभदायक हैं। पथरी होने पर सुबह-शाम पत्थरचट्टा के 4-5 पत्ते साफ करके चबा-चबाकर खायें या इनका रस निकालकर पियें। इससे किसी भी तरह की पथरी गलकर निकल जाती है। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर भी लिया जा सकता है।

6. पथरी होने पर 7 दिन तक सुबह एक गिलास पानी या छाछ में थोड़ी गर्म की हुई फिटकरी घोलकर पी लें। फिटकरी इतनी मात्रा में अवश्य हो कि पानी खारा हो जाये। इससे पथरी आसानी से गलकर निकल जाती है। अगर पथरी पूरी तरह न निकल पाये तो इसे 10 दिन बाद फिर से करें।

7. मूली के पत्तों का रस 100 ग्राम की मात्रा में दिन में 2-3 बार लें। इससे पथरी में बहुत लाभ मिलता है।

8. रोजाना 5 से 6 लीटर पानी पियें। इससे पथरी धीरे-धीरे गलकर निकल जाती है।

9. आयुर्वेद में कुल्थी को पथरीनाशक बताया गया है। इसमें विटामिन ए होता है जो पथरी रोकने में सहायता करता है। यह पथरी बनने के कारण को ही समाप्त कर देती है। इसके सेवन से पथरी छोटे-छोटे टुकड़ों में टूट जाती है। यह मूत्र की मात्रा और वेग भी बढ़ाती है, जिससे पथरी पेशाब के द्वारा शरीर से आसानी से बाहर निकल जाती है।

कुल्थी उड़द की दाल के समान और लाल रंग की होती है। 250 ग्राम कुल्थी को अच्छी तरह साफ करके रात में लगभग 3 लीटर पानी में भिगोकर ढककर रख दें। प्रातः भीगी हुई कुल्थी को उसी पानी में धीमी आग पर चार घंटे तक पकाते रहें। जब तीन लीटर की जगह केवल एक लीटर पानी ही रह जाये तब इसे पकाना बन्द कर दें। इसके बाद 40-50 ग्राम देशी घी में सेंधा नमक, काली मिर्च, हल्दी, जीरा आदि डालकर इसका छौंक लगायें। इस सूप को दिन में दोपहर को भोजन के स्थान पर पी जायें। या इसे 250-250 ग्राम दिन में दो बार पियें। इसके नियमित सेवन से दो सप्ताह में ही बिना आॅपरेशन के गुर्दे और मूत्राशय की पथरी गलकर बाहर निकल जाती है और दोबारा कभी नहीं बनती।

10. गुड़हल का पाउडर एक चम्मच रात को सोते समय खाना खाने के कम से कम डेढ़ घंटा बाद गर्म पानी के साथ फाँक लें। यह थोड़ा कड़वा होता है। इसके बाद कुछ भी खाना पीना नहीं है। इससे पथरी टूट जाती है। पथरी टूटते समय दर्द भी कर सकती है उसे झेल जायें। 5-7 दिन में गाल ब्लैडर की पथरी पूरी तरह टूटकर निकल जाती है।

परहेज

पिथरी के रोगियों को पालक, टमाटर, चुकंदर और भिंडी का सेवन नहीं करना चाहिए। उनको पानी खूब पीना चाहिए और नमक बहुत कम लेना चाहिए।

विजय कुमार सिंघल
ज्येष्ठ कृ प्रतिपदा, सं 2074 वि (11 मई 2017)

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: jayvijaymail@gmail.com, प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- vijayks@rediffmail.com, vijaysinghal27@gmail.com