‘बाईपास’ का कल्चर
उस दिन वे, जैसे किसी परेशानी में थे। मिलते ही बोले, “यार, वे सब मुझे बाईपास कर रहे हैं।” मतलब,
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Read Moreसुबह लगभग ग्यारह बज चुके थे जब राखी कचहरी परिसर में पहुंची थी । परिसर में लोगों की आवाजाही शुरू
Read Moreगाँव हमारा कितना प्यारा लगता सब जग से न्यारा दरवाजे पर खाट डालकर बुजुर्गो की होती बैठक माँ, चाची और
Read Moreपूर्णिमा की रात में जब चाँद अपनी चाँदनी बिखेरता है तो पते पर पड़े कुछ जल की बूँदे मोती सा
Read Moreएक अजनबी बनकर ही तो तुम मिले थे परिचय से शुरू हुई थी बाते धीरे -धीरे होने लगे ढेरो बाते
Read Moreहम इंसान हैं ! तो क्यों ? जानवर सरीखे हो जाते हैं ! अपने विवेक से दूर होकर, भूल इंसानियत
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