गीतिका/ग़ज़ल

ए कलम तु ऐसी चल

ए कलम तु ऐसी चल की देश मे क्रांती ला दे
वीरो के रग रग में देशभक्ती का जोश जगा दे

सेक रहे जो राजनीति पर अपनी रोटियॉ
उन्हे देश के लियें कुछ करने का सबक सीखा दें

प्रेम का ऐसा तु कुछ नया इतिहास रच
कि सभी बैर भूल दुश्मनो को भी अपना बना दें

खा रहे जो अपनी सीना पर अनगिनत गोलीयॉ
उनके लिये भी कभी फूलो की लरिया बरसा दें

कौन कहता है सिर्फ गोलीयो से चिंगारी निकलती है
ए कलम तु भी अंगार बरसा अपनी औकात दिखा दें

रूकना नही कभी लिखते लिखते यूँ ही बीच में
‘निवेदिता’ की शान तुम हो यह परिचय बता दें।

निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४