गीतिका/ग़ज़ल

तरही ग़ज़ल !

कैसी ये आफत है हम कहेंगे कैसे।
दिल पर इस बोझ को अब सहेंगे कैसे।

वतन की कम खुद की फिक्र है सबको,
एकजुट होकर यूं फिर अब रहेंगे कैसे।

परिंदों ने भी ढूंढ लिया ठिकाना कोई,
बड़ते तापमान से धरा के वो बचेंगे कैसे।

अश्क भी आँखों में ही सिमट कर रह गए,
हालातों की इस कशमकश में बहेंगे कैसे।

हर शह से मिलते नहीं ख्याल हर किसी के,
वास्ता यूं हर किसी से फिर

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |