राजनीति

भूरा चूहा डैम खा गया

नेता और विवाद का चोली दामन का साथ माना जाता है और विवाद प्रारम्भ होता है उल्टे सीधे बयानों से। चाहे मोदी हों या योगी, राहुल हों या अखिलेश, बिहार हो या राजस्थान या फिर दिल्ली ऐसा लगता है उल्टा सीधा बोलने को अपना जन्म सिद्ध अधिकार मान बैठे हैं। अरविन्द केजरीवाल इन सबमें सबसे आगे हैं। उनको क्या बोलना है ये बोलने के बाद पता चलता है और सबसे अहम है यू टर्न। उसमें तो सभी को महारत हासिल है। शशि थरूर ने कहा था कि हमारे देश की चिल्लर भी विश्व में नाम कर रही है तो अरिवन्द केजरीवाल का है कि इसमें मोदी जी का हाथ है। अब किसमें कौन सा हाथ है ये तो अरविन्द जी ही जानते है।
आधे से अधिक नेताओं को आरएसएस को कोसने ने फुर्सत नहीं उसके बारे में आये दिन नई नई बाते बोलते रहते है और क्यो बोलते है उन्हे भी नहीं पता। बहुत पहले मुलायम सिंह जी का एक बयान आया था कि बच्चे है उनसे जवानी में गलती हो जाती है। अखिलेश भइया का बयान आया था कि यूपी के लोग ऐसे नहीं कि बिना नकल किये पास हो सकें। बिहार के एक नेता ने कहा कि सेना में लोग मरने ही जाते है।
बिहार के ही नित्यानंद राय ने कहा कि अगर किसी ने मोदी को उँगली दिखाई तो हाथ काट देंगे और अगले पल यू टर्न। अब विवादित बयानों की बात हो और लालू जी की बात न हो ऐसा कैसे हो सकता है। जबतक रहेगा समोसे में आलू तब तक रहेगा बिहार में लालू। और इनके एक बयान के लिये थोड़ा दिमाग लगाना पडे़गा कि भूरा चूहा डैम खा गया। मतलब भू से भूमिहार और रा से राजपूत मिलकर डैम को खा गये। लालू जी के सुपुत्र अपने पिता लालू जी को पिता तुल्य मानते है तो पिता किसको ये तो वही बता सकते हैं।
पर हमारे राहुल बाबा तो सबसे सर्वोपरि हैं उन्होंने कहा था कि मैं बोलूँगा तो भूकम्प आ जायेगा। वो कभी दुनियाँ में मेड इन यूपी बेचते है तो कभी आलू की फैक्ट्री लगाने की बात करते हैं। कभी आलू से सोना बनाने की विधि बताते है तो कभी फटा कुर्ता दिखाते हैं। दिल्ली में ही काँग्रेस के एक नेता 24 इंच बड़े आलू उगाने की बात करते है। अब आलू के पीछे क्यो पड़ी है काँग्रेस ये तो सोनिया जी ही बता सकती हैं।
मोदी जी को फेंकू कहा जाने लगा क्योकि उन्होनें बड़े बड़े वादे किये और फिर यू टर्न के साथ कहा कि चुनावों में की गयी ऐसी बातों का कोई मतलब नही तो कैसा मतलब है बता दीजिये। कालाधन आने के बाद सभी को 15 15 लाख रूपये देने की बात की तो दूसरी ओर मिनिमम बैलेंस की मार में ढकेल दिया जनता को।
अब जब बात बयानों की चल रही है तो यूपी की बहन की बातें कौन भूल सकता है और वो बकायदा स्लोगन भी बनाया गया। तिलक तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार और फिर क्या यू टर्न, हाथी नहीं गणेश है, ब्रम्हा विष्णु महेश है के साथ। और उत्तर प्रदेश के योगी जी ने तो प्यार पर ही बैन लगवा दिया। छेड़ छाड़ पर ऐसा कि आदमी अपनी ही बीवी के साथ पार्क में घूमने जाने से डरने लगा।
ममता दीदी की बात करें तो उन्हें किसी की भावनाओं से मतलब नहीं, वो कहतीं है कि गौमाँस खाना हमार अधिकार है। महाराष्ट्र के एक नेता ने कहा कि अगर शराब की बिक्री बढानी है तो उनके नाम महिलाओं के नाम पर रखें। एक रैली में लालू बोल गए ’नीतीश को मैंने पैदा किया, मुझे नहीं पता था कि नीतीश बबूल निकलेंगे। मैं यह जानता तो गर्म पानी से नीतीश को जला देता’।19 अगस्तु 2012 को बेनी ने कहा, मुलायम सिंह पगला गए हैं, सठिया गए हैं। 9 अगस्तब 2012 को बेनी ने कहा, अन्ना हजारे का शनिचर उतर गया है और अब वो बाबा रामदेव पर चढ़ गया है। ये बेकार के लोग हैं, इन्हें बस कुछ काम चाहिए। मई 2010 में चंडीगढ़ में एक रैली के दौरान गडकरी ने आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह को सोनिया गांधी का कुत्ता कह दिया।
अब ये सब बाते कहकर सस्ती लोकप्रियता बटोरने वाले नेताओं की कहानी तो समय समय पर जनता सुनती ही रहती है पर जनता को बाबा जी के ठुल्लू के सिवा कुछ नहीं मिलता। झूठे वादे, मँहगाई की मार, बेरोजगारी, शिक्षा चिकित्सा की कमी में ही जीवन समाप्त।

सौरभ दीक्षित मानस

नाम:- सौरभ दीक्षित पिता:-श्री धर्मपाल दीक्षित माता:-श्रीमती शशी दीक्षित पत्नि:-अंकिता दीक्षित शिक्षा:-बीटेक (सिविल), एमबीए, बीए (हिन्दी, अर्थशास्त्र) पेशा:-प्राइवेट संस्था में कार्यरत स्थान:-भवन सं. 106, जे ब्लाक, गुजैनी कानपुर नगर-208022 (9760253965) dixit19785@gmail.com जीवन का उद्देश्य:-साहित्य एवं समाज हित में कार्य। शौक:-संगीत सुनना, पढ़ना, खाना बनाना, लेखन एवं घूमना लेखन की भाषा:-बुन्देलखण्डी, हिन्दी एवं अंगे्रजी लेखन की विधाएँ:-मुक्तछंद, गीत, गजल, दोहा, लघुकथा, कहानी, संस्मरण, उपन्यास। संपादन:-“सप्तसमिधा“ (साझा काव्य संकलन) छपी हुई रचनाएँ:-विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में कविताऐ, लेख, कहानियां, संस्मरण आदि प्रकाशित। प्रेस में प्रकाशनार्थ एक उपन्यास:-घाट-84, रिश्तों का पोस्टमार्टम, “काव्यसुगन्ध” काव्य संग्रह,