कविता

नया सन्देश…

जल्दी उठकर छत पर पंहुचा…
पूर्व क्षितिज पर दृष्टि जमाकर सोचा!!!
कुछ बड़ा होगा आज सूरज,
सोचा आज नया नया सा लगेगा!!!
सोचा नव ऊर्जा से चमक उठेगा!
पर ये क्या???
ये तो वही का वही है बीते कल -सा,
न कोई दिखा नयापन!!!!…..
फिर कैसा शोर ????
कल खूब आतिशबाजी हुई…
हाँ आज हल्का काला धुँआ जरूर है!
बस कुछ क्षण ओर लगेंगे रवि को….
कम नही बल्कि अतिरिक्त!!!!
सिख मिली दिन तो कल जैसे वही है…
अंतर है तो बस इतना-
मन में दृढ़ संकल्पित हो यदि हम,
रोज नवल दिनकर आता है।
नव ऊर्जा का दिनकर प्रतिपल…
बढ़ने का संदेश है प्रतिपल….
जान लिया नव वर्ष पर..
दृढ़ संकल्प से कार्य सफल है।

‘धाकड़’ हरीश

हरीश कुमार धाकड़

गांव पोस्ट स्वरूपगंज, तहसील-छोटीसादड़ी, जिला-प्रतापगढ़ (राजस्थान)