“गज़ल”
बह्र- 212 212 212 212, काफ़िया – अने, रदीफ़- देखिए आइना पास है सामने देखिए सूरतों की कसक मायने देखिए
Read Moreआज कल हर माता पिता के लिए यह चिंता का विषय है कि उनका बच्चा पढ़ाई लिखाई में अव्वल हो, और
Read Moreमैं अजन्मी बेटी हूं तो क्या सजीव तो हूं समझती हूं सब कुछ कभी कुछ कह पाती हूं कभी चुप
Read Moreहरियाणा में एक छात्र ने प्राचार्य को मौत की नींद सुला दिया। उसके पहले उत्तर प्रदेश में एक छात्र ने
Read Moreसब कहते हैं-मंहगाई बढ़ गई। कितना सरासर झूठ कहते हैं। इन झूठों के मारे यदि कल शाम तक धरती रसातल
Read Moreआज बहुत दिनों के बाद चाय पीने का मन कर रहा था. यूँ तो मुझे चाय पीने की आदत है
Read Moreटके थे दस, सेठ जी गये फंस, टका निकलवाई का दीना. टके रह गये नौ. टके थे नौ, सेठ जी
Read Moreनिर्भयपुर गांव की सरपंच मनिता ने एक चित्र देखा था. मोमबत्ती की तेज होती लौ को घूरती हुई एक स्त्री.
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