गज़ल
इस बेरहम दुनिया का है पुराना चलन हवा-ए-हिज्र से उजड़े मुहब्बतों के चमन ======================== हुई मुद्दत तेरे दीदार का नशा
Read Moreछोटा-सा खरगोश निताशा, रहता था छोटे बिल में, अपनी छोटी पूंछ देखकर, बड़ा दुखी होता दिल में. एक लोमड़ी उसने
Read Moreधूम-धाम से झिनकू भैया के सुपुत्र की शादी हुई और पढ़ी लिखी आधुनिक परिवेष में रची पगी बहू का लक्ष्मी
Read Moreआप भी महान हुए, कुल के सुजान हुए नारी बीच सखी सारी, मान तो बढ़ाइए।। मान लीजे शान गिरी, नाचते
Read Moreमाँ तू भगवान से भी अधिक दयालु तेरे आँचल में रहकर सारा सुख पाया गलतियों की सजा ज़रूर देता है
Read Moreदर बदर फिर वोट की भीख नहीं मांग रहे नेता बल्कि हम सबके कर्तव्यों को जगा रहे नेता | आलसी
Read Moreविवाह बंधन तोड़ दूँ क्या अकेला तुझे छोड़ दूँ क्या? हर महीने रख पगार हाथ मायके ओर दौड़ दूँ क्या?
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