बाल कविता

चुन्नू मुन्नू दौड़े आयें

चुन्नू मुन्नू दौड़े आये
दादी से कुछ बात बताये
जो नही दिखती थी मेरे घर में
आज वह बाहर देखी गयी
आम के पेड़ पर घोंसला बनाते
कुछ सुखे पत्ते,कुछ तिनके लियें
डालो पर फुदकते हुये
देख हमारा मन हुआ खुश
पकड़ने को दौड़ा उनकी ओर
एक भी हाथ न आयी
ची-ची कर के खूब चिल्लाई
मेरे घर ना सही बागो मे ही
कम से कम तो देखी गयी
जो दिखती है बहुत कम
वो प्यारी गौरैया दिखी अब हमारे बीच।
निवेदिता चतुर्वेदी’निव्या’

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४