दोहे
जैसे भी हो जोड़िये,दिल से दिल के तार। निजता में होती नहीं, कभी जीत या हार।। शीशे के घर में
Read Moreन जाने क्या था उन आंखों में समझ नही पाई अभी इंसानो की भाषा समझ रही थी वो हैवानियत की
Read Moreसिख , हिन्दू नहीं होते है , इस फर्ज़ीवाड़े को सबसे पहले गढ़ने वाला मैक्स आर्थर मेकलीफ़ ( Max Arthur
Read Moreआज भारत में बलात्कार एक ज्वलंत समस्या बन चुकी है।महिलाएं और हमारी बेटियाँ असुरक्षित हैं। कभी भ्रूण हत्या, कभी दहेज
Read Moreबेटी ही धन है बेटी है तो जन है बेटी है तो मान है बेटी है तो आप भाग्यवान है।
Read Moreन जाने कैसे — गैरों की बातें सुन कर वो नादानी में इतना बहक गए , बड़ने लगे जब वो
Read Moreआज राजनीति सिर्फ़ अपना राजधर्म नहीं भूल गई है। तो मानव समाज मानवता का पाठ भी बिसार रहा है। मानवीय
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