“गीत”
मुखड़े व अंतरे का मात्रा भार 22, तुकांत, आना है बड़ी जालसाजी न सच का ठिकाना। हो सके तो सनम
Read Moreनफरते बोना यहाँ सस्ता हुआ | प्रेम उपजाना बहुत महंगा हुआ | हर तरफ काँटो की बो डाली फसल और
Read Moreबचपन से ही ”आसमान से गिरे, खजूर में अटके” मुहावरा सुना था. यह मुहावरा कैसे बना, लेकिन वर्तमान में शायद एक
Read Moreछिपा रही है चाँद सलोना , दुनिया की नज़रों से ! चेहरे पर मुस्कान जगाती , पर्दे की होशियारी
Read Moreजब जब दिल बेकरार होता है , कैसे कहें क्या हाल दिल का होता है ! तुम रुठ जाते हो
Read Moreआँखे छुपा लू कैसे । मुझे सब दिखता है ।। आईने की तस्वीर के पीछे क्या है मुझे सब दिखता
Read Moreछ्न्द – हंसगति ( २0 मात्रा ) शिल्प विधान — 11,9= 20 प्रथम चरण ११ मात्रा ,चरणान्त २१ से अनिवार्य
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