कविता

नवरात्र महिमा

अब तो अखियाँ तरस गई हैं माता अपना रूप दिखा दे,
नवरात्रे की इस पुण्य बेला में माता अपना दीदार करा दे,
शैलपुत्री रूप में आ के माता, मेरी हर बाधा माँ हर लो,
मैं भी चैन पाऊँ इस जग में, घर मेरा खुशियों से भर दो,
ब्रह्मचारिणी रूप में माता, मेरे मन को शीतल कर दो,
सबसे हो सुप्रीत भावना, मन में ऐसा मधु अमृत भर दो,
चन्द्र घंटा के रूप में माता मुझमे इतनी शक्ति भर दो,
जग का मैं कल्याण करूं मैं, ऐसा मुझे परोपकारी वर दो,
देवी कुष्मांडा रूप में माता,इस सारे जग की पालक है,
जीवन का वरदान है माता, सारे सुख की संचालक है
देवी सकंदमाता रूप में माता ऐसी ज्ञान की ज्योति जला दो,
जहाँ जहाँ अन्धकार मिले माँ, वहां वहां प्रकाश फैला दो,
देवी कात्यायनी रूप में मेरे, तन मन के सब विकार मिटा दो,
तन और मन से स्वस्थ रहूँ, नित दर्शन का सौभाग्य दिला दो,
देवी कालरात्रि कर कृपा कुछ ऐसी, मिले सफलता शुभ कार्य में,
जो भी जीवन में करना चाहूं, सफल हो जाए वह लगन धैर्य से,
माता महागौरी का सिमरन मन को कितनी शांति देता है,
विकट घड़ी जब भी आ जाये, माँ का नाम ही सुख देता है,
नवम देवी माँ सिद्धीदात्री, सिद्ध करे सब मुश्किल काम,
नवरात्रे में माँ को जप ले, संवर जाएंगे सब बिगड़े काम,
जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845